सरकार लाएगी खास नीति, प्रदूषण कम होने के साथ पेट्रोल भी होगा सस्ता, जानें कैसे
केंद्र सरकार जल्द ही एक ऐसी नीति लागू करने जा रही है जिससे पेट्रोल की कीमतें ही कम नहीं होंगी बल्कि इससे गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण भी कम हो जाएगा
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार जल्द ही एक ऐसी नीति की घोषणा करेगी जिसमें पेट्रोल में 15 फीसद मेथेनॉल मिलाने की इजाजत दी जाएगी। ऐसा करने से न सिर्फ पेट्रोल की कीमतें कम होंगी बल्कि यह फैसला प्रदूषण को भी कम करने में मददगार होगा। गडकरी ने एक समारोह के दौरान कहा, “आगामी संसद सत्र में, मैं पेट्रोल में 15 फीसद मेथनॉल को सम्मिलित करने की नीति की घोषणा कर रहा हूं।”
मेथेनॉल मिलाने से कितना सस्ता हो जाएगा पेट्रोल:
मेथेनॉल कोयला से बनाया जा सकता है और इसकी लागत 22 रुपये प्रति लीटर होती है, जबकि पेट्रोल की कीमत 80 रुपये प्रति लीटर पड़ती है। चीन इसे 17 रुपये प्रति लीटर की लागत में तैयार कर रहा है। गडकरी ने कहा यह पेट्रोल की लागत को कम करेगा और प्रदूषण को भी कम करेगा। गडकरी ने कहा कि मुंबई के आस-पास की फैक्ट्री जिसमें दीपक फर्टिलाइजर्स और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स भी शामिल हैं वो मेथेनॉल को तैयार कर सकती है।
समझें गणित कैसे सस्ता हो जाएगा पेट्रोल:
- अभी 1 लीटर पेट्रोल की कीमत दिल्ली में 69 रुपए है
- यानी 1000 एमएल पेट्रोल की कीमत: 69 रुपए
- इसमें अगर 15 फीसद एथेनॉल मिलेगा।
- 850 एमएल पेट्रोल की कीमत: 69/1000X850= 58.65 रुपए
- वहीं 1000 एमएल मेथेनॉल की कीमत 22 रुपए
- 15 फीसद यानी 150 एमएल मेथेनॉल की कीमत: 22/1000X150= 3.3 रुपए
- इस हिसाब से 1 लीटर पेट्रोल की कीमत होगी: 58.65+3.3= 61.95 रुपए
क्या है मेथेनॉल:
मेथनॉल आंतरिक दहन और अन्य इंजनों के लिए वैकल्पिक ईंधन है। इसे या तो गैसोलीन के साथ मिलकर इस्तेमाल किया जाता है या फिर सीधे तौर पर। काफी सारे देशों में इसका इस्तेमाल रेसिंग कार के लिए किया जाता है। अमेरिका में, पेट्रोलियम आधारित ईंधन के विकल्प के रूप में इथेनॉल ईंधन को मेथनॉल ईंधन तुलना में ज्यादा पसंद किया जाता है। सामान्य तौर पर, इथेनॉल कम विषाक्त (टॉक्सिक) होता है और इसका ऊर्जा घनत्व ज्यादा होता है। हालांकि मेथनॉल ऊर्जा उत्पादन के लिहाज से कम खर्चीला होता है। ओपेक देशों के वर्ष 1973 के तेल संकट के दौरान, रीड और लर्नर (1 9 73) ने कोयला के इस्तेमाल से विनिर्माण प्रौद्योगिकी के साथ ईंधन के रूप में मेथनॉल को प्रस्तावित किया था और यह गैसोलीन को रिप्लेस करने के लिहाज से एक बेहतर (पर्याप्त) संसाधन भी है। ऐतिहासिक रूप से, मेथनॉल को पहली बार लकड़ी के विनाशकारी आसवन (pyrolysis) द्वारा उत्पादित किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप लकड़ी के शराब के आम अंग्रेजी नाम का परिणाम था।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट: केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया कि देश के भीतर पेट्रोल में एथेनॉल तो मिलाया ही जा रहा है, लेकिन मेथेनॉल एक नया कॉन्सेप्ट है। अब पेट्रोल में मेथेनॉल मिलाने से बेशक प्रदूषण काफी कम होगा,जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार को लताड़ लगाते हुए यह भी कह चुकी है कि राजधानी में प्रदूषण नियंत्रित करने के उनके प्रयास नाकाफी हैं। अगर पेट्रोल में मेथेनॉल मिलाया जाएगा तो जाहिर तौर पर पेट्रोल की कीमत में 8 से 10 रुपए की कमी आएगी। जो कि आम आदमी के लिए एक राहत की खबर है। हालांकि इस मसले पर चिंता की बात गाड़ियों के इंजन को लेकर है जो कि मेथनॉल मिलाए जाने के कारण खराब भी हो सकते हैं। हालांकि सरकार ने इस संबंध में वोल्वो से स्पेशल इंजन के लिए बात भी की है। साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि इससे देश के इंपोर्ट (आयात) पर भी असर पड़ सकता है।