दस फीसद की ग्रोथ रेट के लिए सरकार को चाहिए 397 लाख करोड़ रुपये
भारत की विकास दर को अगले पांच साल में दस फीसदी के स्तर पर ले जाने के लिए भारी भरकम 5.74 लाख करोड़ डॉलर ( करीब 397 लाख करोड़ रुपये) की दरकार होगी।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत की विकास दर को अगले पांच साल में दस फीसदी के स्तर पर ले जाने के लिए भारी भरकम 5.74 लाख करोड़ डॉलर ( करीब 397 लाख करोड़ रुपये) की दरकार होगी। सरकार को यह लक्ष्य हासिल करने के लिये भूमि और श्रम सुधार भी करने होंगे। विकास दर को गति देने के लिए यह सुझाव उद्योग संगठन सीआइआइ ने दिया है। उद्योग संगठन का यह सुझाव इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि वित्त वर्ष 2018-19 में विकास दर घटकर 6.8 फीसद रह गई है, जो 2017-18 में यह 7.2 फीसद थी। वित्त वर्ष 2018-19 की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में तो यह घटकर 5.8 फीसद पर आ गई है।
सीआइआइ के प्रेसिडेंट विक्रम किलरेस्कर ने कहा कि वर्ष 2023-24 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर को बढ़ाकर दोहरे अंकों तक ले जाने यानी कम से कम 10 फीसद पर पहुंचाने के लिए लगभग 5.74 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की दरकार होगी। इसमें से 1.18 लाख करोड़ डॉलर (81.71 लाख करोड़ रुपये) निवेश की जरूरत अकेले ढांचागत क्षेत्र के लिए ही होगी, जबकि कृषि और उद्योग सहित गैर-ढांचागत क्षेत्र के लिए लगभग 4.56 लाख करोड़ डॉलर (315 लाख करोड़ रुपये) निवेश की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि सुधारों की रफ्तार को बनाए रखना जरूरी है। सरकार को जिस प्रकार का जनादेश मिला है, हमें उम्मीद है कि वह भूमि, श्रम और पूंजी के क्षेत्र में सुधार करेगी।सीआइआइ के मुताबिक निजी क्षेत्र को मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना के लिए जमीन मिलने करने में दिक्कत आ रही है। ऐसे में लैंड बैंक बनाने की जरूरत है, जिसमें राज्यों की अहम भूमिका होगी। श्रम सुधारों के मुद्दे पर किलरेस्कर ने राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाने की भूमिका पर जोर दिया। उनका कहना था कि कंपनियों को रोजगार सृजित करने के लिये प्रोत्साहन देने की भी जरूरत है।
सीआइआइ का मानना है कि विकास दर को बढ़ावा देने के लिए उपभोग, निवेश, सामाजिक व ढांचागत सुविधाओं पर सार्वजनिक व्यय और निर्यात में वृद्धि पर जोर देना चाहिए। सरकार को डायरेक्ट टैक्स कोड लाने और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार की दिशा में कदम उठाने चाहिए। इक्विटी पर टैक्स तर्कसंगत बनाने की वकालत करते हुए सीआइआइ के अगले सत्र के लिए निर्वाचित अध्यक्ष उदय कोटक ने कहा कि विभिन्न प्रकार के टैक्स लगाए जाने के कारण कर्ज की तुलना में इक्विटी महंगी पड़ती है। सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए।
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