मास्क और सैनिटाइजर की मनमानी कीमत पर सरकार गंभीर, ज्यादा वसूलने वालों को मिलेगी सजा
Coronavirus Impact मास्क एवं सैनिटाइजर की मनमानी कीमत पर रोक के लिए इन दोनों वस्तुओं को ड्रग्स का दर्जा दिया जा सकता है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार जल्द ही मास्क व सैनिटाइजर की अधिकतम कीमत तय कर देगी। मंगलवार को मास्क व सैनिटाइजर की कीमत पर नियंत्रण के लिए कई मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वास्थ्य, वाणिज्य एवं उद्योग, टेक्सटाइल मंत्रलयों के साथ एनपीपीए के अधिकारी शामिल हुए। मास्क व सैनिटाइजर बनाने वाले उद्यमियों के प्रतिनिधियों ने भी बैठक में हिस्सा लिया।
मास्क व सैनिटाइजर की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार पहले ही इन वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रख चुकी है। इन वस्तुओं की कालाबाजारी में पकड़े जाने वालों को सात साल तक की सजा का भी प्रावधान किया गया है।
मंगलवार को आयोजित बैठक में शामिल एक अधिकारी के मुताबिक मनमानी कीमत को लेकर गहन विचार-विमर्श किया गया, लेकिन मास्क उद्यमियों के एक एसोसिएशन ने यह सवाल उठा दिया कि मास्क से जुड़े कच्चे माल का अब भी निर्यात हो रहा है। पहले उस पर पाबंदी लगाई जाए, फिर मास्क की अधिकतम कीमत तय हो।
माना जा रहा है कि दो-तीन दिनों में कीमत का फैसला हो जाएगा। मास्क एवं सैनिटाइजर की मनमानी कीमत पर रोक के लिए इन दोनों वस्तुओं को ड्रग्स का दर्जा दिया जा सकता है। ड्रग्स का दर्जा मिलते ही इसकी कीमत नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) द्वारा तय होगी और उस कीमत से अधिक दाम पर इसे बाजार में नहीं बेचा जा सकेगा।
कोरोना फैलने से पहले देश में रोजाना 10 लाख मास्क बनते थे। उद्यमियों के मुताबिक 100 एमएल के सैनिटाइजर की फैक्ट्री कीमत 25-27 रुपये है। लेकिन बाजार में इसे 200-250 रुपये तक में बेचा जा रहा है। इसकी अधिकतम खुदरा कीमत (एमआरपी) 80-90 रुपये तक होनी चाहिए। 3-प्लाइ तक के मास्क की फैक्ट्री कीमत एक रुपया है जबकि बाजार में 25-50 रुपये तक में बेचा जा रहा है। इसकी अधिकतम कीमत पांच रुपये तक हो सकती है।