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RBI गर्वनर को मानना पड़ेगा सरकार का आदेश, बहाल होगा पुराना कानून और इस्तीफा दे सकते हैं ऊर्जित पटेल!

आरबीआई एक्ट 1934 के सेक्शन 7 के अंतर्गत केंद्र सरकार समय-समय पर आरबीआई को जैसे चाहे दिशा-निर्देश जारी कर सकती है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 11:33 AM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 03:18 PM (IST)
RBI गर्वनर को मानना पड़ेगा सरकार का आदेश, बहाल होगा पुराना कानून और इस्तीफा दे सकते हैं ऊर्जित पटेल!
RBI गर्वनर को मानना पड़ेगा सरकार का आदेश, बहाल होगा पुराना कानून और इस्तीफा दे सकते हैं ऊर्जित पटेल!

नई दिल्ली (बिजनेस)। सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच खबर यह आ रही है कि सरकार अब आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 को फिर से बहाल करने का अभूतपूर्व कदम उठा सकती है, ताकि केंद्रीय बैंक को समय-समय पर दिशानिर्देश दिए जा सकें।

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जानकारी के लिए आपको बता दें कि आरबीआई एक्ट 1934 के सेक्शन 7 के अंतर्गत, "केंद्र सरकार समय-समय पर आरबीआई को जैसे चाहे दिशा-निर्देश जारी कर सकती है। हालांकि जनता के हित को ध्यान में रखने हुए इसमें बैंक के गर्वनर का परामर्श जरूरी होगा।" एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खबर यह भी सामने आई थी कि मोदी सरकार ने आजाद भारत के इतिहास में पहली बार इस कानून को बहाल किया है।

क्या कहता है आरबीआई एक्ट का सेक्शन 7?

आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 के मुताबिक सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वो जनता के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक को दिशानिर्देश जारी कर सकती है। वो समय समय पर ऐसा आरबीआई गर्वनर के परामर्श पर कर सकती है। इसके आगे सेक्शन 7 का सब सेक्शन कहता है कि इस तरह का आदेश बैंक के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टोरेट को अधिक शक्तिशाली बना देगा और बैंकिंग से जुड़े सभी कामकाजों पर इसी का नियंत्रण होगा। इससे आदेश से पहले बोर्ड ऑफ डायरेक्टोरेट से अधिक अधिकार गवर्नर के पास माने जाते थे। 

इस्तीफा दे सकते हैं उर्जित पटेल!

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ऊर्जित पटेल वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से केंद्रीय बैंक के कामकाज पर सवाल उठाने के बाद अपने पद से इस्तीफा देने समेत सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गर्वनर अपने इस्तीफे पर विचार कर सकते हैं और उनके पास अन्य विकल्प भी खुले हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार और आरबीआई गवर्नर के बीच स्थितियां सामान्य नहीं हैं। हालांकि इस संबंध में पीएमओ कार्यालय से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

गौरतलब है कि इस मामले में ताजा अपडेट ऐसे समय में सामने आया है जब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य केंद्रीय बैंक की अधिक स्वायतता की वकालत करते हुए यह चेता चुके हैं कि केंद्रीय बैंक की शक्तियों को कमजोर करना संभावित रूप से विनाशकारी हो सकता है।


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