स्टार्ट-अप लिस्टिंग नियमों में छूट संभव, गूगल व अमेजन जैसा आकार लेने में मदद के लिए यह छूट देगी सरकार
सूत्रों के मुताबिक भारतीय स्टार्ट-अप्स को विदेशी एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए भारत में सूचीबद्ध होने की बाध्यता खत्म की जा सकती है। पिछले साल जो नियम बनाए गए हैं उसके मुताबिक विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने वाले स्टार्ट-अप्स को भारतीय बाजार में भी सूचीबद्ध होना पड़ेगा।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। भारतीय स्टार्ट-अप्स को गूगल, अमेजन और अलीबाबा जैसा आकार देने के लिए सरकार उन्हें विदेशी एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से संबंधित नियमों में छूट दे सकती है। सरकार भारतीय स्टार्ट-अप्स को विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने की मंजूरी पिछले वर्ष ही दे चुकी है। लेकिन कारपोरेट कार्य मंत्रालय की तरफ से अब तक विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक विदेशी एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के नियम में सरकार कुछ बदलाव कर सकती है। उसके बाद ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक भारतीय स्टार्ट-अप्स को विदेशी एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए भारत में सूचीबद्ध होने की बाध्यता खत्म की जा सकती है। पिछले साल जो नियम बनाए गए हैं उसके मुताबिक विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने वाले स्टार्ट-अप्स को भारतीय बाजार में भी सूचीबद्ध होना पड़ेगा।वर्तमान नियम के मुताबिक भारत सरकार किसी गैर-सूचीबद्ध कंपनी को विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होकर फंड इकट्ठा करने की इजाजत नहीं देती है। स्टार्ट-अप सिस्टम के साझीदारों का मानना है कि सीधे विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने की सुविधा मिलने से कई भारतीय कंपनियां दुनिया के नक्शे पर आएंगी। इससे उन्हें पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी और उनके ब्रांड की पहचान बनेगी।
जानकारों का कहना है कि अगर भारतीय शेयर बाजारों में सूचीबद्धता को अनिवार्य किया जाता है तो कंपनी के मूल्य में कमी आएगी, उसकी नकदी का विभाजन होगा और उसे कारोबार के अलग-अलग नियमों का पालन करना होगा। इस प्रकार की दिक्कतों को देखते हुए भारतीय स्टार्ट-अप कंपनियां विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना नहीं चाहेंगी। अलग-अलग एक्सचेंज अपने तरीके से कंपनियों के मूल्यों का आकलन करते हैं। कई विदेशी एक्सचेंज टेक कंपनियों के मूल्यों का आकलन उनके लाभ से अलग होकर करते हैं। वहीं, भारतीय एक्सचेंज में मुनाफा कमाने वाली कंपनियां ही बहुमूल्य मानी जाती हैं।
भारत बन रहा वीसी-पीई की पसंद
पिछले चार-पांच वर्षो से चीन की जगह भारत वेंचर कैपिटल (वीसी) और प्राइवेट इक्विटी (पीई) की पसंद बनता जा रहा है। गत 15-16 जनवरी को प्रारंभ नाम से आयोजित स्टार्ट-अप इंडिया इंटरनेशनल समिट में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में वीसी-पीई का निवेश स्तर जीडीपी के 1.7 फीसद के बराबर हो चुका है। वर्ष 2016 में भारतीय अर्थव्यवस्था में वीसी-पीई का निवेश स्तर जीडीपी के 0.7 फीसद के बराबर था। वहीं, वर्ष 2016 में चीन में वीसी-पीई का निवेश स्तर वहां की जीडीपी के दो फीसद के बराबर था जो वर्ष 2019 में घटकर 0.7 फीसद रह गया।