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इकोनॉमी को गति देने की कवायदः Loan Moratorium की अवधि बढ़ाने से लेकर इन विकल्पों पर विचार कर रही सरकार

सरकार का मकसद किसी भी हाल में खपत को बढ़ाना है ताकि उत्पादन बढ़ सके और आर्थिक पहिया का चक्र पूरा हो सके। (PC ANI)

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 07:17 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 07:17 PM (IST)
इकोनॉमी को गति देने की कवायदः Loan Moratorium की अवधि बढ़ाने से लेकर इन विकल्पों पर विचार कर रही सरकार
इकोनॉमी को गति देने की कवायदः Loan Moratorium की अवधि बढ़ाने से लेकर इन विकल्पों पर विचार कर रही सरकार

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार हर विकल्प आजमाने की तैयारी में है। इन विकल्पों में दूसरे वित्तीय पैकेज से लेकर उधारी में बढ़ोतरी तक शामिल हैं। सरकार लोन मोरेटोरियम की अवधि को बढ़ाने से लेकर मनरेगा के लिए वित्तीय आवंटन में और बढ़ोतरी पर भी विचार कर रही है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश के जीडीपी में 23.9 फीसद के संकुचन के बाद वित्त मंत्रालय में विकल्पों पर माथापच्ची तेज हो गई है।

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वित्त मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सरकार ने किसी विकल्प को नहीं छोड़ा है। मंत्रालय कोरोना संकट की वजह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए दूसरे वित्तीय पैकेज पर गंभीरता से विचार कर रही है। पहले पैकेज के तहत 21 लाख करोड़ रुपए की मदद का प्रावधान किया गया है। सूत्रों के मुताबिक लेकिन दूसरा पैकेज कब और कैसे दिया जाएगा, इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। वित्त मंत्री से लेकर मुख्य आर्थिक सलाहकार तक खपत बढ़ाने के लिए दूसरे पैकेज देने का संकेत दे चुके हैं।

वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अतिरिक्त उधार लेने से भी परहेज नहीं करेगी। हालांकि, अतिरिक्त कर्ज से सरकार को अर्थव्यवस्था की रेटिंग नीचे जाने की आशंका है। इससे विदेशी निवेश प्रभावित होने के साथ विदेशी उधार मिलने में परेशानी आने की आशंका रहती है।

चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने बजट में 7.80 लाख करोड़ रुपए की उधारी का लक्ष्य तय किया था। इस लक्ष्य को बढ़ाकर 12 लाख करोड़ कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस साल दिसंबर तक ही सरकार 12 लाख करोड़ रुपए उधार ले सकती है। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद भी जरूरत पड़ने और कर्ज लेने से सरकार पीछे नहीं हटेगी। हालांकि, अभी केंद्र सरकार और उधारी लेने के पक्ष में नहीं है। यही वजह है कि राज्यों के जीएसटी कंपनसेशन की पूर्ति के लिए केंद्र राज्यों से उधार लेने के लिए कह रहा है।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सरकार लोन मोरेटोरियम की अवधि को भी बढ़ा सकती है। अभी इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद वित्त मंत्रालय ने एक कमेटी का गठन किया है जो एक अगले सप्ताह अपनी रिपोर्ट देगी। गत 31 अगस्त को यह अवधि खत्म हो गई है।

वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक छोटे उद्यमियों के कारोबार को गति देने के लिए मंत्रालय एमएसएमई को बिना किसी परेशानी के लोन दिए जाने के लिए बैंकों पर लगातार दबाव बना रहा है। सरकार का मकसद किसी भी हाल में खपत को बढ़ाना है ताकि उत्पादन बढ़ सके और आर्थिक पहिया का चक्र पूरा हो सके। इसलिए लोन के वितरण के नियम में किसी प्रकार की सख्ती नहीं बरतने का निर्देश दिया गया है। ग्रामीण इलाके में खपत में तेजी के लिए सरकार मनरेगा के मद में और आवंटन कर सकती है। सरकार ने एक लाख करोड़ का आवंटन मनरेगा के लिए किया है। इनमें से 62 फीसद राशि खर्च हो चुकी है। 


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