सरकारी दखल से वित्तीय स्थिरता को खतरा
आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी दी है कि अतिरिक्त रिजर्व का सरकार को हस्तांतरण करने से आरबीआइ की साख घट सकती है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) से पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे को साख के लिए नकारात्मक बताया और कहा कि रिजर्व बैंक के संचालन में सरकार के बढ़ते हस्तक्षेप से पिछले कुछ साल में बैंकिंग प्रणाली में बड़ी कठिनाई से हुए सुधारों को नुकसान पहुंच सकता है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने कहा कि खास तौर से एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स उन परिस्थितियों को साख के लिए नकारात्मक मानती है, जिनकी वजह से उर्जिट पटेल को इस्तीफा देना पड़ा। हम जनवरी 2019 में आरबीआइ के बोर्ड की अगली बैठक में बैंकिंग प्रणाली के नियमों में संभावित बदलावों का इंतजार कर रहे हैं।
एजेंसी ने रिपोर्ट में हालांकि कहा है कि उसे आरबीआइ की आजादी में बहुत अधिक बदलाव का अंदेशा नहीं है। आसपास के रिजर्व बैंकों की तुलना में आरबीआइ अधिक आजादी का उपयोग करता है। लेकिन सरकार के लगातार दबाव से समय के साथ स्थिति बदल जाने का जोखिम है। इसके साथ ही बाहरी हस्तक्षेप से देश की दीर्घावधि वित्तीय स्थिरता को भी नुकसान पहुंच सकता है।
आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी दी है कि अतिरिक्त रिजर्व का सरकार को हस्तांतरण करने से आरबीआइ की साख घट सकती है। आरबीआइ की रेटिंग को ‘एएए’ से घटाए जाने से रिजर्व बैंक के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और इसका पूरी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि नोटबंदी के कारण भारत की विकास दर में गिरावट आई और यह गिरावट ऐसे समय में आई, जब अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास हो रहा था। इसके कारण देश की जीडीपी पर बहुत बुरा असर पड़ा। उन्होंने हालांकि कहा कि विकास दर पर जीएसटी लागू किए जाने का भी प्रभाव पड़ा।