Petrol और Diesel पर उत्पाद शुल्क में 8.5 रुपये प्रति लीटर की कटौती की गुंजाइश, राजस्व पर नहीं पड़ेगा असर
मार्च 2020 से मई 2020 के बीच एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई थी। यह अभी डीजल पर 31.8 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 32.9 रुपये प्रति लीटर है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार के पास पेट्रोल-डीजल से टैक्स के अपने राजस्व लक्ष्य को प्रभावित किए बिना पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 8.5 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती करने की गुंजाइश है। विश्लेषकों ने यह बात कही है। कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के चलते इन उत्पादों का दाम ऐतिहासिक उच्च स्तर पर आ गया है। ऐसे में विपक्षी दलों और समाज के एक वर्ग की ओर से यह मांग उठ रही है कि लोगों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार इन उत्पादों पर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) को कम करे।
आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने एक बयान में कहा, 'हमारा अनुमान है कि अगर एक्साइज ड्यूटी में कटौती नहीं होती है, तो वित्त वर्ष 2022 में ऑटो फ्यूल्स पर एक्साइज ड्यूटी बजट अनुमान 3.2 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 4.35 लाख करोड़ रुपये रहेगी। वहीं, अगर एक्साइज ड्यूटी में एक अप्रैल, 2021 को या इससे पहले 8.5 रुपये प्रति लीटर की कटौती होती है, तो भी वित्त वर्ष 2022 में बजट अनुमान को पाया जा सकता है।'
यहां बता दें कि मार्च, 2020 से मई, 2020 के बीच एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई थी। यह अभी डीजल पर 31.8 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 32.9 रुपये प्रति लीटर है।
उस समय अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतों के दो दशक के निम्न स्तर पर चले जाने से उत्पन्न लाभ को प्राप्त करने के लिए एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोत्तरी की गई थी। लेकिन तेल की कीमतों के रिकवर होने के बाद अभी तक भी करों को उनके वास्तविक स्तर पर नहीं लाया गया। इस समय दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 91.17 रुपये प्रति लीटर पर और डीजल की कीमत 81.47 रुपये प्रति लीटर पर है।
बता दें कि पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती को लेकर वित्त मंत्रालय में विचार-विमर्श शुरू हो गया है। इस संबंध में पेट्रोलियम मंत्रालय और कंपनियों से भी संपर्क किया जा रहा है। वित्त मंत्रालय पेट्रोल डीजल की कीमतों में राहत को लेकर राज्यों से भी विमर्श की तैयारी में है, ताकि पेट्रोलियम ईधन पर लगने वाले शुल्क में एक आपसी सहमति के साथ कटौती की जाए।