सरकार की बाहरी देनदारी 558 अरब डॉलर के पार, कॉमर्शियल बोरोइंग में उछाल बनी वजह
सरकार ने शनिवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच 1.92 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ। (PC PTI) (File Photo)
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार पर कुल बाहरी देनदारी इस वर्ष मार्च के आखिर में बढ़कर 558.5 अरब डॉलर पर पहुंच गई। वित्त मंत्रालय के मुताबिक कॉमर्शियल बोरोइंग में उछाल के चलते यह देनदारी बढ़ी। पिछले वर्ष मार्च के अंत में यह आंकड़ा 543 अरब डॉलर था। इस वर्ष मार्च के आखिर में बाहरी देनदारी बढ़कर जीडीपी के 20.6 फीसद पर पहुंच गई, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 19.8 फीसद पर थी।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी 'भारत का बाहरी कर्ज : स्टेटस रिपोर्ट - 2019-20' में कहा गया है कि पिछले वर्ष मार्च अंत के मुकाबले इस वर्ष सरकार का कर्ज तीन फीसद घटकर 100.9 अरब डॉलर रहा। इसकी मुख्य वजह यह थी कि सरकारी सिक्युरिटीज में विदेशी संस्थागत निवेश की हिस्सेदारी घटी। रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज लेने में गैर-वित्तीय संस्थाएं सबसे आगे रहीं।
प्रत्यक्ष कर संग्रह में 31 फीसद की गिरावट
सरकार ने शनिवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के बीच 1.92 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 31 फीसद कम है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में बताया कि अप्रैल से अगस्त के दौरान परोक्ष कर संग्रह भी 11 फीसद गिरकर 3.42 लाख करोड़ रुपये रहा।
उन्होंने यह भी कहा कि 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद करने पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। ठाकुर ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में कहा कि मांग को देखते हुए सभी नोट की उपलब्धता में संतुलन रखने के लिए रिजर्व बैंक से विमर्श के बाद किसी नोट की छपाई पर सरकार फैसला करती है।