Airtel, Vodafone Idea और Tata Teleservices से सरकार ने मांगे बकाया AGR के स्व मूल्यांकन संबंधी दस्तावेज
DOT यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि कंपनियां अपनी AGR बकाया देनदारी की गणना का जो तरीका अपना रही हैं वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कसौटी पर है कि नहीं।PC Pixabay
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार ने भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज समेत अन्य टेलीकॉम कंपनियों से एजीआर बकाया मद में स्व-मूल्यांकन से संबंधित दस्तावेज मांगे हैं। दूरसंचार विभाग (डीओटी) के एक अधिकारी के मुताबिक सरकार यह समझना चाह रही है कि टेलीकॉम कंपनियों ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया देनदारी का अपने हिसाब से जो मूल्यांकन किया है, उसका आधार क्या है।
अधिकारी ने कहा कि इन तीनों कंपनियों समेत अन्य ने अपनी बकाया देनदारी के जो आंकड़े बताए हैं, सरकार ने उसे स्थापित करने के लिए संबंधित दस्तावेजों की मांग की है। हालांकि इसके लिए कंपनियों के सामने कोई समय-सीमा नहीं रखी गई है। ये दस्तावेज उन्हीं कंपनियों से मांगे जा रहे हैं, जिन्होंने डीओटी द्वारा निर्धारित बकाया को गलत और स्व-मूल्यांकन को सही बताया है। जो कंपनियां डीओटी की गणना को सही मान रही हैं, विभाग उनसे कोई दस्तावेज नहीं मांगेगा।
सूत्र के मुताबिक डीओटी यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि कंपनियां अपनी एजीआर बकाया देनदारी की गणना का जो तरीका अपना रही हैं, वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कसौटी पर है कि नहीं। अभी ये दस्तावेज तीन कंपनियों से ही मांगे गए हैं। आने वाले समय में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (आइएसपी) समेत एजीआर बकाया देनदारी की जद में आई सभी कंपनियों से इस तरह के दस्तावेज मांगे जाएंगे।
अधिकारी का कहना था कि सभी कंपनियों से दस्तावेज हासिल हो जाने के बाद सरकार समयबद्ध तरीके से उनकी गणना और सत्यता का आकलन करेगी। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों द्वारा किसी भी एक वर्ष के लिए एजीआर देनदारी के दावे और सरकार की गणना में अंतर का आकलन किया जाएगा।
जब अधिकारी से पूछा गया कि कंपनियों से स्व-मूल्यांकन के समर्थन में दस्तावेज मांगने की वजह क्या है, तो उनका कहना था कि यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे आयकर विभाग आयकर दावों की जांच करता है और जरूरत के हिसाब से करदाता से संबंधित दस्तावेजों की मांग करता है।