यूजर डेटा को भारत में ही रखने पर बाध्य हो सकती हैं फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियां
विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत में ई-कॉमर्स संबंधित लेनदेन के मामले में भारतीय कंपनियों के लिए लागू नियमों का भी पालन करना होगा
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों तथा फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया वेबसाइट को अब अपने यूजर्स का डाटा भारत में ही सुरक्षित रखने को बाध्य करने पर विचार कर रही है। सरकार ने ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय नीति पर तैयार मसौदे पर सोमवार को चर्चा की। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मसौदे के तहत सरकार कंपनी कानून में भी इस तरह का संशोधन कर सकती है, जिससे हिस्सेदारी छोटी होने के बावजूद ई-कॉमर्स कंपनियों पर संस्थापकों का ही नियंत्रण रहे।
मसौदे में खासतौर पर कहा गया है कि देश में ही सुरक्षित रखे जाने वाले डाटा में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) द्वारा जुटाया गया कम्यूनिटी डाटा, सार्वजनिक रूप से मौजूद उपकरण और ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया, सर्च इंजन तथा अन्य स्रोतों द्वारा भारतीय यूजर्स के डाटा शामिल मुख्य रूप से शामिल होंगे।
ई-कॉमर्स पर राष्ट्रीय नीति के मसौदे में यह प्रस्ताव भी रखा गया है कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित के लिए बनाई जाने वाली नीतियों जैसे मामलों में इन कंपनियों द्वारा अपने यूजर्स के जुटाए आंकड़े का उपयोग कर सकती है। इतना ही नहीं, विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत में ई-कॉमर्स संबंधित लेनदेन के मामले में भारतीय कंपनियों के लिए लागू नियमों का भी पालन करना होगा। वहीं, मसौदे में ई-कॉमर्स सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) से संबंधित नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में एक अलग शाखा के गठन का भी प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ब्रांडेड उत्पादों की थोक खरीद को प्रतिबंधित किया जा सकता है।
गौरतलब है कि सरकार ने राष्ट्रीय ई-कॉमर्स नीति तैयार करने के लिए वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। सोमवार को समिति की दूसरी बैठक हुई, जिसमें मसौदे पर चर्चा की गई।
कारोबारियों ने किया मसौदे का स्वागत: कारोबारी संगठनों ने ई-कॉमर्स पर सरकार की राष्ट्रीय नीति के मसौदे का स्वागत किया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एक बयान में कहा कि ई-कॉमर्स पर राष्ट्रीय नीति से सेक्टर में मजबूत आंतरिक सुधारों की उम्मीद की जाती है। गौरतलब है कि वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे की घोषणा के बाद से ही कैट उसका जबर्दस्त विरोध कर रहा है।