आपके बैंक अकाउंट से चोरी होता है पैसा, तो जानिए क्या है बैंक और आपकी जिम्मेदारियां
लेकिन इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर किसी के खाते से पैसा चोरी होता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश जैसे-जैसे डिजिटल हो रहा है इसके साथ तमाम खतरे भी बढ़ रहे हैं। सबसे ज्यादा नुकसान बैंकिंग सेक्टर में हो रहा है। इस सेक्टर में बैंकिंग फ्रॉड और हैकिंग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हैकर हर सुरक्षा दायरा तोड़कर लोगों के खाते से पैसे निकाल ले रहे हैं। लेकिन इसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर किसी के खाते से पैसा चोरी होता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
रिजर्व बैंक ने इसके लिए कुछ नियमों को अधिसूचित किया थ। जिसमें ऐसे मामलों में किस हद तक किसकी जिम्मेदारी होगी, यह तय किया गया था। आरबीआर्इ की सालाना रिपोर्ट 2017-18 में बताया गया है कि अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग ट्रांजेक्शन में ग्राहकों और बैंकों की कितनी जिम्मेदारी होती है।
ग्राहकों की जिम्मेदारी नहीं
अगर फ्रॉड बैंक की ओर से खामी होने पर हुआ है तो ग्राहक को इसके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन ऐसे मामलों में जब गलती न तो बैंक की है और न ग्राहक की, लेकिन सिस्टम में कहीं और है तो, अनाधिकृत ट्रांजेक्शन की सूचना मिलने के तीन दिनों के भीतर अगर ग्राहक शिकायत दर्ज कराता है तो नुकसान का जिम्मेदार ग्राहक नहीं होगा।
कुछ हद तक ग्राहकों की जिम्मेदारी
अगर नुकसान ग्राहक की लापरवाही से हुआ है तो इसकी जिम्मेदारी ग्राहक की होगी। ऐसे मामले में जहां गलती न तो बैंक की है और न ग्राहक की, लेकिन सिस्टम में कहीं और है तो, अनाधिकृत ट्रांजेक्शन की सूचना मिलने के चार से सात दिन बाद ग्राहक बैंक को इसके बारे में बताता है तो ग्राहक की सीमित जिम्मेदारी होगी।
बोर्ड की मंजूरी से बनी पॉलिसी के मुताबिक, अनधिकृत ट्रांजेक्शन की जानकारी सात कार्यदिवसों के बाद देने पर यह बैंक बोर्ड के ऊपर निर्भर करेगा। ऐसे मामले में गैर-कानूनी तरीके से चोरी गए पैसे को ग्राहक से सूचना मिलने के बाद बैंक उसके खाते में 10 कार्यदिवस में पैसे डालेंगे। इस मामले में शिकायत का हल बैंक को करना होगा।