Amazon-Flipkart की होगी छुट्टी! Google भारतीय ओपन ई-कॉमर्स नेटवर्क ONDC के साथ मिलकर करेगा काम
Google की पैरेंट ऑर्गनाइजेशन अल्फाबेट इंक ने भारतीय ओपन ई-कॉमर्स नेटवर्क ONDC के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है। ONDC ज्वॉइन करने के लए गूगल की बातचीत भारत सरकार से चल रही है। अगर सहमति बनती है तो अमेजन और फ्लिपकार्ट की भारत से छुट्टी हो सकती है।
नई दिल्ली, रायटर्स। भारत ने कुछ दिनों पहले ही पांच शहरों में डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (Open Network for Digital Commerce ) का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। ओएनडीसी एक यूपीआई-प्रकार का प्रोटोकॉल है। इसका उद्देश्य बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र को गांव-गांव व दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना है। साथ ही दिग्गज ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के वर्चस्व को कम कर छोटे विक्रेताओं की मदद करना है। जानकारी के मुताबिक अब ओएनडीसी से जुड़ने के लिए दुनिया की सबसे दिग्गज कंपनी Alphabet Inc ने भी इच्छा जताई है।
सूत्रों की मानें तो अल्फाबेट इंक अपनी शॉपिंग सर्विस को भारत के ओपन ई-कॉमर्स नेटवर्क ONDC के साथ मिलकर काम करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत कर रही है। इसकी जानकारी दो सूत्रों ने रायटर को दी है।
आपको बता दें कि भारत ने पिछले महीने के अंत में डिजिटल कॉमर्स के लिए अपने ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) को सॉफ्ट-लॉन्च किया था, क्योंकि सरकार तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स में अमेरिकी कंपनियों Amazon.com (AMZN.O) और वॉलमार्ट (WMT.N) के वर्चस्व को खत्म करना चाहती है। सरकार का मानना है कि अगर इन दिग्गज कंपनियों के वर्जस्व को खत्म नहीं किया गया तो इसका बुरा प्रभाव छोटे व्यापारियों पर पड़ेगा।
ओएनडीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टी. कोशी ने रॉयटर्स को बताया कि Google उन कई कंपनियों में से एक है, जिसके साथ वह इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहने के लिए विचार-विमर्श कर रहा था। इसका सबसे बड़ा कारण यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) है। सरकार से गूगल की बातचीत उसके पेमेंट बिजनेस गूगल पे की सफलता को भी दर्शाती है। Google का मौजूदा शॉपिंग व्यवसाय पूरी तरह से ऑनलाइन लिस्टिंग के एग्रीगेटर के रूप में काम करता है। हालांकि, Google के प्रवक्ता ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या वे भारतीय सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं।
सरकार का अनुमान है कि भारतीय ई-कॉमर्स बाजार 2021 में सकल व्यापारिक मूल्य (gross trading value) में 55 बिलियन डॉलर से अधिक का था। वहीं, इस दशक के अंत तक बढ़कर 350 बिलियन डॉलर हो जाएगा।