फाइलों में सिमट गया एमएसएमई के लिए बना जीएसटी का मंत्री समूह
सरकार भले ही छोटे और मझोले उद्यमों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही हो
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। सरकार भले ही छोटे और मझोले उद्यमों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही हो, लेकिन एमएसएमई की शिकायतों और समस्याओं के समाधान के लिए बनाया गया जीएसटी काउंसिल का मंत्री समूह (जीओएम) फाइलों में सिमट कर रह गया है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला की अध्यक्षता वाले इस जीओएम को दो महीने में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन उन्होंने अब तक इसकी बैठक बुलाना भी मुनासिब नहीं समझा। इस जीओएम को काउंसिल की तीन समितियों फिटमेंट कमेटी, लॉ कमेटी और आइटी कमेटी की सिफारिशों पर विचार कर सिफारिशें पेश करनी थीं।
इस मंत्रिसमूह में पांच राज्यों के वित्त मंत्री भी बतौर सदस्य शामिल थे। तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में चार अगस्त को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस मंत्रिसमूह के गठन का फैसला किया गया था। काउंसिल के पास बड़ी संख्या में एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों ने अपनी शिकायतें और समस्याएं भेजी थीं। उन्हें उम्मीद थी कि जीएसटी के संबंध में उनकी शिकायत दूर हो जाएंगी। इसके बाद ही काउंसिल ने 14 अगस्त को यह मंत्रिसमूह गठित कर दिया।
मंत्रिसमूह को दो माह के भीतर रिपोर्ट देनी थी, लेकिन इसकी एक भी बैठक ही नहीं हुई। जीओएम की बैठक क्यों नहीं बुलाई गई, इस बारे में आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि एमएसएमई के मुद्दे पर मंत्री समूह के अध्यक्ष के उदासीन रवैये के चलते ऐसा हुआ। इस बारे में शुक्ला की प्रतिक्रिया तो उपलब्ध नहीं हुई, लेकिन वित्त मंत्रलय और जीएसटी काउंसिल के सूत्रों ने माना कि अब तक जीओएम की बैठक नहीं हुई है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो नवंबर को एमएसएमई के लिए दर्जनभर घोषणाएं की थीं। उन्होंने देश के 100 जिलो में एमएसएमई की सुविधा के लिए विशेष अभियान शुरू करने का एलान करते हुए कहा था कि वह खुद इसकी निगरानी करेंगे। ऐसे में जीएसटी काउंसिल के जीओएम द्वारा एमएसएमई की समस्याओं पर विचार करने के लिए कोई बैठक तक न बुलाना सवाल खड़े करता है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स (सीबीआइसी) ने एमएसएमई के फीडबैक और मदद के लिए चुनिंदा जिलों में जीएसडी हेल्प डेस्क शुरू करने की घोषणा की है।