तीन महीने की ऊंचाई पर पहुंचा सोना, जानिए सोने के लिए कैसा रहेगा 2018
साल 2018 में सोने की शुरुआत तेजी के साथ हुई है। मंगलवार दोपहर सोना 1311 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सोने ने साल 2018 की शुरुआत मजबूती के साथ की है। मंगलवार को सोने के दाम बीते तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। बीते हफ्ते ही इसने 1,300 डॉलर प्रति औंस का स्तर पार कर दिया था। आज दिन के कारोबार में सोना 1305 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर आ गया जो कि 26 सितंबर के बाद का उच्चतम स्तर था। दोपहर दो बजे सोना करीब 1311.10 के स्तर पर कारोबार करता देखा गया।
मंगलवार को बुलियन मार्केट का हाल: बुधवार के कारोबार में सोना दोपहर दो बजे 70 रुपए की तेजी के साथ 29,193 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार करता देखा गया।
सोमवार को बुलियन मार्केट का हाल: साल के पहले दिन घरेलू सर्राफा बाजार में औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की ओर से मांग बढ़ने से चांदी 120 रुपये मजबूत होकर 40 हजार 100 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई। हालांकि सोना सपाट बंद हुआ। सोमवार को यह कीमती धातु 30 हजार 400 रुपये प्रति 10 ग्राम के पिछले स्तर पर बनी रही। पिछले सत्र में इसमें 175 रुपये की तेजी आई थी। सराफा बाजार में जहां हाजिर चांदी में तेजी रही लेकिन साप्ताहिक डिलीवरी वाली चांदी 50 रुपये के नुकसान में 39 हजार 170 रुपये प्रति किलो पर बोली गई। दिल्ली में सोना आभूषण के भाव 30 हजार 250 रुपये प्रति 10 ग्राम पर रहे। आठ ग्राम वाली गिन्नी 24 हजार 700 रुपये के पूर्वस्तर पर यथावत रही।
बुलियन मार्केट के लिए कैसा रहेगा साल 2018:
केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया कि नए साल में बुलियन का कारोबार अच्छा रह सकता है। इसके कई कारण हैं। पहला फेड ने इंटरेस्ट रेट को बढ़ाया। बढ़ाने के बाद भी गोल्ड और सिल्वर के दाम बढ़े। फेड की ओर से 3 से 4 फीसद तक इंटरेस्ट रेट बढ़ाने की उम्मीद थी लेकिन वो 3 फीसद तक ही सीमित रह गया, अगर यहां पर कुछ भी डाइसी हुआ तो गोल्ड को सपोर्ट करेगा। दूसरा कारण टैक्स रिफॉर्म। अमेरिका में साल 2017 के दौरान हेल्थ रिफॉर्म का दौर देखा गया। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने ओबामा केयर को खारिज कर अपनी नीति लाने की बात कही, हालांकि इस फैसले का विरोध किया गया। आज टैक्स रिफॉर्म की बात चल रही है,अगर ऐसी ही स्थिति इसमें देखने को मिली। यानी ट्रंप के रिफॉर्म्स में अगर कोई बाधा देखने को मिली तो वो चिंताएं पैदा करेंगी, जो सोने और चांदी की कीमतों को बढाएंगी। तीसरा कारण है चीन और भारत का आयात। चीन में अभी भी मंदी बनी हुई है इस वजह से वहां सोने का आयात (900 से 950 टन) स्थिर बना हुआ है। लेकिन अगर भारत की बात करें तो भारत की स्थिति थोड़ी अलग है। साल 2016 में भारत ने 500 टन सोने का आयात किया था। पूरे साल कहा गया कि मांग नहीं है फिर भी भारत 700 से ज्यादा टन सोने का आयात कर चुका है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि सोने की मांग है। पहली छमाही में ही 500 टन से ऊपर का आयात और जून के बाद 200 से ज्यादा टन सोने का आयात हम कर चुके हैं। ऐसे में यह मांग सोने की कीमतों को सपोर्ट करेगी। चौथा है जियो पॉलिटिकट टेंशन। हमने नॉर्थ कोरिया का टेक देखा है। कहीं न कहीं यह कंसर्न पैदा करेगा जो कि गोल्ड की कीमतों को सपोर्ट करेगा। इक्विटी मार्केट 2017 में सबसे पीक पर थे। ऐसे में अगर कहीं इक्विटी मार्केट में प्रॉफिट-बुकिंग की स्थिति आती है, जिसके साल 2018 में बड़े आसार हैं। क्योंकि निवेशकों के एक आदत होती है कि वो एक एसेट्स में ज्यादा मुनाफा कमाने के बाद दूसरे का रुख करते हैं। ऐसे में अगला एसेट्स गोल्ड ही है। तीन साल से सोना उछला ही नहीं है। 1500 डॉलर से गिरने के बाद सोना 1200 डॉलर के आस पास ही रहा है। इसलिए कहा जा सकता है कि गोल्ड को एनकैशमेंट करने के लिए सरकार ने गोल्ड बॉन्ड जारी किए हैं जिस पर लोगों के रुझान बढ़ा है। यह भी गोल्ड के लिए एक बेहतर संकेत है।