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200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद के नहीं जारी होंगे ग्लोबल टेंडर : वित्त मंत्रालय

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज की प्रगति की समीक्षा करने के बाद मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में रविवार को यह जानकारी दी।

By NiteshEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 09:09 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 09:09 AM (IST)
200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद के नहीं जारी होंगे ग्लोबल टेंडर : वित्त मंत्रालय
200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद के नहीं जारी होंगे ग्लोबल टेंडर : वित्त मंत्रालय

नई दिल्ली, आइएएनएस। वित्त मंत्रालय ने 200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद में विदेशी कंपनियों को शामिल नहीं करके घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए नियमों में बदलाव किया है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज की प्रगति की समीक्षा करने के बाद मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में रविवार को यह जानकारी दी।

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बयान के अनुसार, देश के MSME (सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम) को बड़ी राहत देते हुए व्यय विभाग ने सामान्य वित्तीय नियमों, 2017 के वर्तमान नियम 161 (पअ) और वैश्विक निविदाओं से संबंधित जीएफआर नियमों में संशोधन किए हैं। वित्त मंत्रालय ने बताया कि अब 200 करोड़ रुपये तक की निविदाओं के लिए कोई वैश्विक निविदा पूछताछ या ग्लोबल टेंडर इंक्वायरी (जीटीआई) तब तक आमंत्रित नहीं की जाएगी जब तक कि कैबिनेट सचिवालय से पूर्व अनुमोदन प्राप्त न हो जाए।

बयान में कहा गया कि वित्तमंत्री ने यह घोषणा की है कि रेलवे, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और सीपीडब्ल्यूडी जैसी सभी केंद्रीय एजेंसियां अनुबंधात्मक या संविदात्मक दायित्वों को पूरा करने के लिए 6 माह तक का समय विस्तार देंगी, जिनमें ईपीसी और रियायत समझौतों से संबंधित दायित्व भी शामिल हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने विशेष परिस्थिति को देखते हुए सिर्फ वर्ष 2020-21 के लिए राज्यों की उधारी सीमा को 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी करने का फैसला किया है। इससे राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे।

इस संबंध में व्यय विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि (कोविड-19 महामारी के कारण) अप्रत्याशित परिस्थिति या आपदा से जुड़ी धारा (एफएमसी) का उपयोग करके ठेकेदार या रियायत प्राप्तकर्ता पर कोई भी खर्च या जुमार्ना थोपे बिना ही अनुबंध की अवधि को कम-से-कम तीन माह और अधिक-से-अधिक छह माह बढ़ाया जा सकता है।


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