World Bank ने कहा, Covid-19 के कारण ग्लोबल इकोनॉमी दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ी मंदी की ओर
विश्व बैंक ने कहा है कि कोरोना महामारी की वजह से वर्ष 2020 के दौरान ग्लोबल इकोनॉमी में 5.2 फीसद की गिरावट हो सकती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विश्व बैंक ने सोमवार को कोविड-19 से वैश्विक इकोनॉमी पर पड़ने वाले असर को लेकर एक नई रिपोर्ट जारी की है, जो पहले से ही जताई जा रही चिंताओं को और पुख्ता करती है। विश्व बैंक ने कहा है कि कोरोना महामारी की वजह से वर्ष 2020 के दौरान ग्लोबल इकोनॉमी में 5.2 फीसद की गिरावट हो सकती है। ऐसी मंदी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने नहीं देखी है। विश्व का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जो मंदी की गिरफ्त में ना जाएगा।
दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों की इकोनॉमी में भी 2.7 फीसद की गिरावट होगी। इस हालात में करोड़ों लोगों के गरीबी रेखा के नीचे जाने का खतरा है और संयुक्त राष्ट्र के समाजिक व आर्थिक विकास से जुड़े लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल होगा।विश्व बैंक ने कोविड-19 की शुरुआत के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर रिपोर्ट जारी की थी। हालांकि तब हालात की गंभीरता को नहीं पहचाना गया था। अब जबकि दुनियाभर में यह महामारी फैल चुकी है और कई देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है, तब परंपरा से हटकर रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।
इसमें पूर्वी एशिया व प्रशांत क्षेत्र की इकोनॉमी में 0.5 फीसद, अफ्रीका के सहारा क्षेत्र के देशों में 2.8 फीसद, मध्य एशिया व उत्तरी अफ्रीका में 4.2 फीसद, यूरोप व केंद्रीय एशियाई देशों में 4.2 फीसद और लैटिन अमेरिकी देशों की इकोनॉमी में 7.2 फीसद की गिरावट का अनुमान लगाया गया है। इतनी बड़ी गिरावट का असर यह होगा कि पिछले कई वर्षो से वैश्विक इकोनॉमी में सुधार से जो फायदे हुए थे, उन पर पानी फिरने की नौबत आ सकती है।
विश्व बैंक ने गिरावट की इस संभावित दर को मौजूदा हालात को देखकर लगाया है लेकिन कहा है कि इसके ज्यादा खराब होने की संभावना भी है। वर्ष 2020 में ग्लोबल इकोनॉमी की गिरावट आठ फीसद तक हो सकती है।विश्व बैंक ने कहा है कि मंदी की पूरी तस्वीर का पता चलने में अभी कुछ वक्त लगेगा लेकिन सभी देशों को इसे दूर करने को लेकर ज्यादा से ज्यादा गंभीरता दिखानी चाहिए। क्योंकि यह रोजगार के अवसरों पर बहुत ही बुरा असर डालेगा जिसका ज्यादा व्यापक असर हो सकता है।
खास तौर पर विकासशील देशों के असंगठित क्षेत्र की स्थिति बहुत ही खराब होती दिख रही है। इस क्षेत्र में 70 फीसद तक रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। सरकारों को इस हालात से निपटने के लिए नए तरीकों पर विचार करना चाहिए। लोगों के हाथ में सीधे पूंजी देने और कारोबारियों को आसानी से कम दर पर कर्ज देने पर फोकस होना चाहिए। हेल्थ सेक्टर को लेकर मध्यावधि व दीर्घावधि योजना तैयार की जानी चाहिए।