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Fuel Price Hike: फिर बढ़ सकती हैं पेट्रोल और डीजल की कीमतें, तेल कंपनियों को हो रहा घाटा, लोगों पर पड़ेगी ऊंची कीमत की मार

सूत्रों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें बढ़ने से सरकारी तेल कंपनियों को घाटा हो रही है। इसलिए सरकारी तेल कंपनियां फ्यूल की कीमतों में इजाफा कर सकती हैं। इससे जनता पर बोझ पड़ना तय माना जा रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 06:22 AM (IST)
Fuel Price Hike: फिर बढ़ सकती हैं पेट्रोल और डीजल की कीमतें, तेल कंपनियों को हो रहा घाटा, लोगों पर पड़ेगी ऊंची कीमत की मार
सूत्रों की मानें तो सरकारी तेल कंपनियों को भारी घाटा हो रहा है। (File Photo)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऐसा लगता है कि तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर छह अप्रैल से जो ब्रेक लगाया है उसे फिर से शुरू कर सकती हैं। सरकारी तेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के आधार पर अभी उन्हें पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 25 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। ऐसे में इन दोनों उत्पादों की खुदरा कीमतों में वृद्धि नहीं की गई तो तेल कंपनियों को भारी घाटा उठाना पड़ सकता है।

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जनता पर बोझ पड़ना तय

ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिल कर शुल्कों में कटौती करें तभी आम आदमी को राहत संभव है, नहीं तो जनता पर भारी वृद्धि का एक और बोझ पड़ना तय है। सरकारी तेल कंपनियों ने 22 मार्च से लेकर छह अप्रैल, 2022 तक लगातार घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा किया था।

105.41 रुपये प्रति लीटर है पेट्रोल

इस दौरान पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में 10-10 रुपये की कुल वृद्धि की गई थी। अभी दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 105.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल की 96.67 रुपये प्रति लीटर है।

महंगाई पर असर साफ

पूर्व में जो वृद्धि गई है उसकी वजह से महंगाई पर असर साफ दिख रहा है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मार्च-अप्रैल में की गई वृद्धि का असर मई, 2022 के महंगाई के आंकड़ों पर साफ दिखने वाला है। ऐसे में एक और वृद्धि से महंगाई के तेवर और खतरनाक हो सकते हैं। अर्थव्यवस्था के लिए भी यह शुभ संकेत नहीं है।

कीमत नहीं बढ़ने पर कंपनियों के प्रदर्शन पर पड़ेगा असर

सूत्रों का कहना है कि घरेलू बाजार में खुदरा कीमत नहीं बढ़ाने की वजह से सरकारी तेल कंपनियों के पूरे प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। खास तौर इनका निर्यात प्रभावित हो सकता है। अभी वैश्विक हालात की वजह से यूरोपीय देशों के अलावा सऊदी अरब जैसे देश भी भारत से डीजल का आयात कर रहे हैं। लेकिन इस बैलेंस को बनाए रखने के लिए कंपनियों को घरेलू बाजार से भी अपने उत्पादों की लागत निकालनी होगी।

बढ़ेगी महंगाई

ऐसे में खुदरा कीमतों पर लगी मौजूदा रोक ज्यादा दिनों तक नहीं बनाए रखी जा सकती। हालांकि, वृद्धि का सिलसिला कब शुरू होगा, यह कहना मुश्किल है। उधर, लागत बढ़ने की वजह से ही निजी क्षेत्र की रिफाइनरियों ने देश में डीजल की की बिक्री बंद कर रखी है क्योंकि उनकी कीमत और सरकारी तेल कंपनियों की कीमत में बहुत ज्यादा अंतर है।

कच्चे तेल की कीमत में तेजी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर से तेजी का रुख दिख रहा है। सोमवार को इसकी कीमत 111 डालर प्रति बैरल के करीब है।


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