एफएसएसएआइ ने दी सफाई, कहा- 'मैगी को क्लीन चिट नहीं'
खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआइ ने मैगी को क्लीन चिट देने से इन्कार किया है। नियामक ने खुद की मान्यता प्राप्त दो लैब की रिपोर्टों को निराधार बताया है। अथॉरिटी के मुताबिक लैब टेस्ट में कई तरह की खामियां हैं। एफएसएसएआइ ने एक बयान में गोवा की फूड एंड ड्रग्स लेबोरेटरी और
नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआइ ने मैगी को क्लीन चिट देने से इन्कार किया है। नियामक ने खुद की मान्यता प्राप्त दो लैब की रिपोर्टों को निराधार बताया है। अथॉरिटी के मुताबिक लैब टेस्ट में कई तरह की खामियां हैं।
एफएसएसएआइ ने एक बयान में गोवा की फूड एंड ड्रग्स लेबोरेटरी और मैसूर की सीएफटीआरआइ लैब की रिपोर्ट को खामियों के कारण रिजेक्ट कर दिया है। बयान में ब्रिटेन और सिंगापुर की लैब की ओर से दी गई क्लीन चिट पर भी सवाल उठाया गया है। कहा है कि कंपनी ने विदेश में टेस्ट की रिपोर्टों के ब्योरों को साझा नहीं किया है।
नियामक के मुताबिक, गोवा की लैब ने मैगी में लेड की मात्रा को 10 पीपीएम मानक माना है। जबकि नियम के मुताबिक यह सिर्फ 2.5 पीपीएम होना चाहिए। इसी तरह मैसूर की सीएफटीआरआइ लैब ने प्रतिबंध की गई मैगी के सैंपल टेस्ट नहीं किए।
नियामक ने अपने बयान में कहा है कि मैगी को किसी तरह की क्लीन चिट नहीं दी गई है। गोवा और मैसूर की लैब में जिन मैगी के सैंपल का टेस्ट हुआ है, वे नेस्ले की गोवा स्थित बिचोलिम फैक्ट्री में बने हैं। इस फैक्ट्री से आठ देशों को मैगी एक्सपोर्ट की जाती है। नेस्ले ने अब तक 5 जून को जारी कारण बताओ नोटिस का भी जवाब नहीं दिया है। जून में एफएसएसएआइ ने मैगी में लेड और एमएसजी तय मात्रा से अधिक पाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।