Franklin Templeton Crisis: म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए खतरे की घंटी, जानें एक्सपर्ट्स की राय
Franklin Templeton Crisis कुछ विशेषज्ञ तो मौजूदा संकट की तुलना आइएलएंडएफएस संकट (ILFS Crisis) से कर रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। शीर्ष Mutual Fund कंपनियों में शुमार फ्रैंकलिन टेंपलटन (Franklin Templeton) की तरफ से फिक्स्ड इनकम वाली छह डेट स्कीमों (Debt Funds) को बंद करने का फैसला समूचे म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए खतरे की घंटी है। इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड-19 ने जो हालात बनाए हैं, उसे देखते हुए भविष्य में डेट आधारित तमाम फंड्स को लेकर अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। कुछ विशेषज्ञ तो मौजूदा संकट की तुलना आइएलएंडएफएस संकट (IL&FS Crisis) से कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जिस तरह से आइएलएंडएफएस संकट ने समूची गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए मुश्किल पैदा कर दी थी, उसी तरह फ्रैंकलिन टेंपलटन का मामला Mutual Funds के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
विशेषज्ञ अर्थव्यवस्था के वर्तमान हालात को देखकर सशंकित हैं और उनका कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में यह दावा नहीं किया जा सकता कि दूसरी असेट मैनेजमेंट कंपनियों के साथ ऐसा नहीं होगा। उनका कहना है कि देश में ऐसे दर्जनों डेट फंड्स हैं, जिन्होंने रेटिंग की परवाह किए बिना कंपनियों के रसूख व अर्थव्यवस्था में उछाल की संभावना के आधार पर उनके डेट प्रपत्रों में निवेश किया है। जानकारों के मुताबिक इन सभी फंड्स में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए हालात अभी चिंताजनक हैं।
जाने-माने म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट धीरेंद्र कुमार का कहना है कि अभी जिस तरह की स्थिति है, उसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। उन्होंने कहा कि अभी इकोनॉमी ठप है, कंपनियां बंद हैं। कुमार के मुताबिक ऐसी स्थिति में कंपनियां अपने बांड्स या दूसरे प्रपत्रों का पेमेंट कैसे कर सकती हैं। इन प्रपत्रों या बांड्स में निवेश करने वाली असेट्स मैनेजमेंट फंड के सामने यह एक प्रकार की चुनौती है। बड़ी संख्या में निवेशक अगर इस तरह के फंड्स में अचानक ही पैसा निकालने आ जाते हैं, तो उन्हें बंद करना पड़ सकता है। कुमार के मुताबिक यह खतरे की घंटी है और यह खतरा तमाम दूसरे फंड्स पर भी मंडरा रहा है।