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FPI Sell-off Continues: 9 महीने से नहीं थमी बिकवाली, जून में विदेशी निवेशकों ने निकाली 50,000 करोड़ से ज्यादा की इक्विटी

FPI Sell-off Continues शेयर बाजार में हलचल के कारण पिछले 9 महीने से एफपीआई की बिकवाली नहीं थम रही है। शेयर मार्केट में जारी उतार-चढ़ाव के कारण विदेशी निवेशकों ने जून में 50203 करोड़ रुपये की इक्विटी निकाली है।

By Sarveshwar PathakEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 10:50 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jul 2022 06:56 AM (IST)
FPI Sell-off Continues: 9 महीने से नहीं थमी बिकवाली, जून में विदेशी निवेशकों ने निकाली 50,000 करोड़ से ज्यादा की इक्विटी
FPI Sell off Continues for last 9 month

नई दिल्ली, एएनआई। एफपीआई की बिकवाली पिछले 9 महीने से जारी है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जून के महीने में भारत से 50,203 करोड़ रुपये की इक्विटी निकाली है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी डेटा के मुताबिक एफपीआई पिछले नौ से दस महीनों से भारतीय बाजारों में लगातार विभिन्न कारणों से इक्विटी बेच रहे हैं, जिसमें मौद्रिक नीति का कड़ा होना, रुपये का कमजोर होना, चालू खाता घाटा बढ़ना, डॉलर में बढ़ोतरी और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड जैसे कारण शामिल हैं। 

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2022 में अब तक विदेशी निवेशकों ने बेची 217,619 करोड़ रुपये की इक्विटी 

एफपीआई आमतौर पर समग्र वित्तीय बाजारों में तेज अस्थिरता और अनिश्चितता के समय में बेहतर अर्थव्यवस्था वाले देशों को प्राथमिकता देते हैं। एशिया के बाजारों में पिछले कुछ महीनों से अस्थिरता बनी हुई है, जिसके कारण विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं। एनएसडीएल (National Securities Depository Limited) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 में अब तक उन्होंने 217,619 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है। इसी अवधि के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में 10-10 फीसद से ज्यादा की गिरावट आई है।

इक्विटी आउटफ्लो ने रुपये को किया कमजोर 

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर इक्विटी आउटफ्लो ने रुपये को काफी कमजोर दिया है, जो हाल ही में 79 डॉलर से अधिक हो गया है। निरंतर एफपीआई बिक्री को यूएस में लगातार बढ़ते डॉलर और बॉन्ड यील्ड के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

डेप्रिसिएशन की चपेट में कई देशों की करेंसी
वीके विजयकुमार ने कहा कि भारत जैसे बढ़ते चालू खाता घाटे वाले देशों में एफपीआई अधिक बिक्री कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे देशों की करेंसी डेप्रिसिएशन की चपेट में हैं। हालांकि, जून के अंत में एफपीआई की बिक्री में गिरावट का रुझान दिखा रहा है। विजयकुमार ने कहा कि यह प्रवृत्ति तभी रुकेगी जब डॉलर स्थिर होगा और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट आएगी।


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