जेपी इन्फ्रा के लिए एनबीसीसी व कोटक समेत चार अंतिम सूची में
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में जेपी इन्फ्रा की दिवालिया प्रक्रिया चल रही है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कर्ज में फंसी जेपी इन्फ्राटेक की दिवालिया प्रक्रिया में बोली लगाने के लिए सरकारी क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी, कोटक इन्वेस्टमेंट, सिंगापुर की क्यूब हाईवेज और सुरक्षा ग्र्रुप का चयन किया गया है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में जेपी इन्फ्रा की दिवालिया प्रक्रिया चल रही है।
जेपी इन्फ्राटेक की रेगुलेटरी फाइलिंग में दी गई जानकारी के मुताबिक बोली लगाने की इच्छुक पांच कंपनियों में से एलएंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर अंतिम सूची से बाहर हो गई है। सूत्रों ने पहले बताया था कि एलएंडटी की बोली पर विचार नहीं होगा क्योंकि वह सिर्फ नोएडा-आगरा के बीच 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेसवे का अधिग्रहण करने में इच्छुक थी।
जेपी इन्फ्राटेक के अंतरिम रिजोल्यूशन प्रोफेशनल अनुज जैन ने कहा है कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड के नियमों के मुताबिक बोली लगाने के लिए अंतिम सूची तैयार कर ली गई है। सुरक्षा ग्र्रुप के 7350 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को कर्जदाताओं द्वारा खारिज किए जाने के बाद एनसीएलटी ने दोबारा नीलामी प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। इस पर जैन ने अक्टूबर में यह प्रक्रिया शुरू की।
जेपी इन्फ्राटेक यमुना एक्सप्रेसवे की संचालक है। इसके अलावा नोएडा और ग्र्रेटर नोएडा समेत कई स्थानों पर हजारों फ्लैट विकसित कर रही है। इसके खिलाफ आइडीबीआइ बैंक की अगुआई वाले कंसोर्टियम ने बकाया कर्ज की वसूली के लिए पिछले साल एनसीएलटी में दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का आवेदन किया था। इसे एनसीएलटी द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
पहले शुरू कई नीलामी प्रक्रिया में सुरक्षा ग्रुप की लक्षदीप अग्रणी रही थी। उसने 7350 करोड़ रुपये की पेशकश की थी लेकिन इसे कर्जदाता बैंकों ने खारिज कर दिया। बैंकों का इस कंपनी पर करीब 9800 करोड़ रुपये कर्ज बाकी है। इसमें से 4334 करोड़ रुपये कर्ज आईडीबीआई द्वारा दिया गया है। बाकी कर्ज अन्य बैंकों का है।
जयप्रकाश समूह की फ्लैगशिप कंपनी जेपी इन्फ्राटेक कुल 32000 प्लैट विकसित कर रही है। इसमें से वह सिर्फ 9500 फ्लैट का कब्जा दे पाई है। फ्लैट खरीदारों को रिफंड के लिए कंपनी ने 750 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट में जमा कराए थे लेकिन कोर्ट ने यह पैसा एनसीएलटी को ट्रांसफर कर दिया। उसने कंपनी के लिए दोबारा नीलामी करने का आदेश दिया।