बड़े भाई के खिलाफ NCLT पहुंचे फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर शिविंदर
सिंह बंधुओं पर इंटर-कॉरपोरेट लोन के जरिये कथित तौर पर 500 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में फरवरी में कंपनी ने एक स्वतंत्र जांच कराने का एलान किया था
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। फोर्टिस हेल्थकेयर ने आंतरिक नियंत्रण और अनुपालन की स्थिति को सुदृढ़ करने की बात कही है। कंपनी इन गतिविधियों की जांच के लिए बाहरी एजेंसी की सेवा लेगी। एक जांच में पूर्व प्रमोटर सिंह बंधुओं द्वारा कथित तौर पर फंड निकालने में व्यवस्थाजनित खामियां उजागर होने के बाद कंपनी ने यह कदम उठाने की तैयारी की है।
सिंह बंधुओं पर इंटर-कॉरपोरेट लोन के जरिये कथित तौर पर 500 करोड़ रुपये की हेराफेरी के मामले में फरवरी में कंपनी ने एक स्वतंत्र जांच कराने का एलान किया था। 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट में कंपनी ने कहा, ‘जांच रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों को ध्यान रखते हुए बोर्ड बाहरी एजेंसी की नियुक्ति करेगा। प्रक्रियाओं को मजबूत करने और गवर्नेस फ्रेमवर्क को सुदृढ़ करने के लिए यह एजेंसी आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था और अनुपालन पर नजर रखेगी।’
कंपनी ने कहा कि इस दिशा में आंतरिक संस्थागत संरचना और रिपोर्टिग लाइन की समीक्षा भी की जाएगी। इस मामले में जांच रिपोर्ट आठ जून को नवगठित बोर्ड के समक्ष रखी गई थी। वार्षिक रिपोर्ट में कंपनी ने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर अन्य जरूरी कदम भी उठाए जाएंगे। इनमें आंतरिक जांच भी शामिल है। कंपनी ने कहा कि अन्य नियामकीय एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं। पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण बोर्ड अभी यह नहीं कह सकता कि कंपनी में धोखाधड़ी हुई है या नहीं।
शेयरधारकों को संबोधित करते हुए फोर्टिस हेल्थकेयर के चेयरमैन रवि राजगोपाल ने कहा कि नवगठित बोर्ड कंपनी के अंदर नियंत्रण और अन्य फ्रेमवर्क को समझने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहा है।
फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह ने अपने बड़े भाई मालविंदर मोहन सिंह और रेलिगेयर के पूर्व प्रमुख सुनील गोधवानी के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने मालविंदर के साथ हर तरह की कारोबारी साङोदारी से भी खुद को अलग कर लिया है। शिविंदर ने आरोप लगाया है कि मालविंदर और गोधवानी की गतिविधियों से कंपनियों और शेयरधारकों का अहित हुआ।
शिविंदर ने कहा, ‘मैंने आरएचसी होल्डिंग, रेलिगेयर और फोर्टिस को नुकसान पहुंचाने व कुप्रबंधन को लेकर मालविंदर और सुनील गोधवानी के खिलाफ एनसीएलटी में मामला दायर किया है।’ उन्होंने कहा कि यह कदम बहुत पहले ही उठाया जाना था, लेकिन वे यह सोचकर रुके रहे कि शायद स्थितियां सुधर जाएं और पारिवारिक विवाद का एक और बुरा अध्याय न लिखना पड़े। शिविंदर ने कहा कि मालविंदर और गोधवानी की गतिविधियों ने विधिवत तरीके से कंपनियों व शेयरधारकों के हितों को नुकसान पहुंचाया। इससे समूह के निष्ठावान ग्राहकों भी नुकसान हुआ।
शिविंदर ने 2015 में सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लिया था। इसके बाद से वह ब्यास में बस गए थे। उन्होंने कहा कि रेलिगेयर की एनबीएफसी शाखा में लिए गए फैसले, लेनदेन, ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी रैनबैक्सी को डायची के हाथों बेचना और प्राइवेट चार्टर एयरलाइन बिजनेस लाइगर एविएशन के संचालन में हुआ घाटा यह प्रमाणित करता है कि गड़बड़ी व्यवस्थित ढंग से हो रही थी। उन्होंने कहा कि पारिवारिक और निजी रूप से कष्ट होने बाद भी पारिवारिक कारोबारी प्रतिष्ठा की संवेदनशीलता के कारण वे किसी बयान से बच रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘पारिवारिक प्रतिष्ठा ने मुझे मूकदर्शक बना रखा था। मैं अपने द्वारा स्थापित कंपनी को ही ऐसी स्थिति में पहुंचते देखता रहा, जहां सार्वजनिक रूप से उसकी बोली लगाई गई। मेरे परिवार ने और मैंने अपनी विरासत को गंवा दिया। मेरी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दांव पर लग गई। अब वक्त आ गया है कि मैं खुद को कारोबारी साङोदार के रूप में अपने भाई से अलग कर रहा हूं। मैं अपना अलग रास्ता बनाऊंगा। मैं ऐसी किसी गतिविधि का हिस्सा नहीं रह सकता, जहां पारदर्शिता और नीति की सतत रूप से अनदेखी हो।