Move to Jagran APP

खाने में होगा सुधार कीमत चुकाने को रहें तैयार

नई दिल्ली [संजय सिंह]। वर्ष 2010 की खानपान नीति से ट्रेनों के खाने में सुधार की उम्मीद बंधी थी। मगर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। उलटे, खाने के मनमाने दाम वसूलने की शिकायतें बढ़ गई। इन पर कार्रवाई भी लचर रही। लिहाजा, अब कैटरिंग में आमूल-चूल परिवर्तन की तैयारी है लेकिन यात्रियों को इसकी कीमत चुकानी होगी। शताब्दी, राजधानी व दूरंतो

By Edited By: Published: Sun, 03 Feb 2013 07:46 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
खाने में होगा सुधार कीमत चुकाने को रहें तैयार

नई दिल्ली [संजय सिंह]। वर्ष 2010 की खानपान नीति से ट्रेनों के खाने में सुधार की उम्मीद बंधी थी। मगर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। उलटे, खाने के मनमाने दाम वसूलने की शिकायतें बढ़ गई। इन पर कार्रवाई भी लचर रही। लिहाजा, अब कैटरिंग में आमूल-चूल परिवर्तन की तैयारी है लेकिन यात्रियों को इसकी कीमत चुकानी होगी। शताब्दी, राजधानी व दूरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में खाने के दाम बढ़ाए जाने से इनका किराया महंगा हो सकता है। चार महीने में कैटरिंग के नए ठेके आवंटित कर दिए जाएंगे। शिकायतों के लिए नया ऑल इंडिया टोल फ्री नंबर शुरू कर दिया गया है।

loksabha election banner

ज्यादातर ट्रेनों में खानपान की व्यवस्था अब रेलवे के पास है। इसके बावजूद खाने की गुणवत्ता और सेवा में कोई विशेष सुधार दिखाई नहीं देता। हां, बदलाव के बहाने ठेकेदार खाने की मनमानी कीमत अवश्य वसूलने लगे हैं। जोनल मुख्यालयों और रेलवे बोर्ड में आने वाली खानपान संबंधी ज्यादातर शिकायतें इसी बात को लेकर हैं। कहीं 35 रुपये की थाली के 85 रुपये वसूले जा रहे हैं, तो कहीं 10 रुपये के आइटम का रेट 15 रुपये लगाया जा रहा। इन शिकायतों पर देर से व मामूली कार्रवाई होती है। ज्यादातर मामलों में वसूले गए अधिक पैसे वापस करा दिए जाते हैं और ठेकेदार को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। किसी ठेकेदार के खिलाफ ज्यादा शिकायतें होने पर जुर्माना लगाया जाता है। मगर ऐसे मामले बहुत कम हैं जहां लाइसेंस निलंबित या रद किया गया हो। ज्यादातर ठेकेदार सिस्टम और उससे बचने के रास्ते जानते हैं। लिहाजा उनकी मनमानी जारी रहती है। तभी तो छापों के बावजूद शिकायतों में केवल 4.82 फीसद की कमी आई है। इस साल जनवरी से अक्टूबर की अवधि में 26,860 छापे पड़े, मगर स्थिति जस की तस बनी हुई है।

स्टेशनों व प्लेटफार्मो पर अब गर्मागर्म देसी आइटम नहीं मिलते। बड़े स्टेशनों पर खाना पकाने पर रोक लगा दी गई है। यात्रियों को पहले से बना या डिब्बाबंद फास्ट फूड ही लेना पड़ता है। पर्यावरण को धता बताने वाली प्लास्टिक पैकेजिंग में बिस्कुट, केक, कोल्ड ड्रिंक्स व चिप्स-स्नैक्स की भरमार है। रेल नीर की उपलब्धता भी बेहद सीमित है। इसके बजाय ज्यादातर स्टेशनों पर दूसरे महंगे ब्रांड बेचे जा रहे हैं। ज्यादातर प्लेटफार्मो पर ट्रालियों का चलन बंद कर दिया है। 2005 की खानपान नीति के तहत आइआरसीटीसी ने सैकड़ों वेंडिंग इकाइयों को खत्म कर दिया था। नई नीति में इनकी बहाली का भरोसा दिया गया था लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। वे आज भी दर-दर भटक रहे हैं। अब पवन बंसल ने उनकी सुध लेने का इशारा किया है। रेल बजट में इस बाबत महत्वपूर्ण एलान हो सकते हैं।

बायोटॉयलेट

पटरियां गंदी करने वाले मौजूदा टॉयलेट के खत्म होने में अभी 10 साल और लगेंगे। पिछले साल तक आठ ट्रेनों में डीआरडीओ द्वारा विकसित 436 डिस्चार्ज फ्री बायोटॉयलेट लगाए जा चुके थे। चालू वर्ष में 2500 और बायोटॉयलेट लगने की उम्मीद है। रेलवे की योजना 2016-17 तक सभी नई बोगियों में बायोटॉयलेट शुरू करने की है। अभी जो रफ्तार है उससे सारी ट्रेनों में बायोटॉयलेट लगाने का काम 2021-22 तक भी पूरा होना मुश्किल दिखता है।

1-कैटरिंग के नए ठेके-चार महीने में

2-जनवरी-अक्टूबर 2012 तक पड़े 26,807 छापे

3-नई टोल फ्री हेल्पेलाइन सेवा 1800111321 चालू

4-बेस किचन की संख्या सिर्फ 46

5-कुल प्रस्तावित बेस किचन 250

6- कुल 293 जोड़ा ट्रेनों में पैंट्रीकार कैटरिंग

7-लाइसेंसी कैटरर 251 ट्रेनों में मौजूद (14 राजधानी, 14 शताब्दी व 223 मेल/एक्सेप्रेस)

8-आइआरसीटीसी की कैटरिंग सेवा 32 ट्रेनों में (23 दूरंतो, 9 मेल/एक्सप्रेस)

9-विभागीय कैटरिंग 10 ट्रेनों में (7 राजधानी, 1 शताब्दी व 2 मेल/एक्सप्रेस)

10-फूड प्लाजा-87, ऑटोमैटिक फूड वेंडिंग मशीनें-820, 11,237 स्थायी कैटरिंग यूनिटें

11-136 ट्रेनों में ट्रेन साइड वेंडिंग (बाहर से खाने की सप्लाई)

बायोटॉयलेट

1-अब तक आठ ट्रेनों में लगे 436 बायोटॉयलेट

2-वर्ष 2012-13 में लक्ष्य 2500 बायोटॉयलेट लगाने का

3-वर्ष 2016-17 तक सभी नई बोगियों में बायोटॉयलेट लगाने का लक्ष्य

4-वर्ष 2021-22 तक सभी ट्रेनों में बायोटॉयलेट लगाने की योजना

5-क्लीन ट्रेन स्टेशनों की संख्या 28

6-ऑनबोर्ड हाउस कीपिंग 286 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में

ट्रेनों में आग रोकने को लगेंगे विशेष उपकरण

नई दिल्ली। ट्रेनों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे आधुनिक उपकरण लगाएगा। ये उपकरण पेंट्री कार और जेनरेटर यान में लगाए जाएंगे। इसमें फव्वारा समेत आग बुझाने की अत्याधुनिक प्रणाली लगाई जाएगी।

रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक आग की तीव्रता कम करने के उपकरण लगाए जाने के बावजूद इस तरह की घटनाएं थम नहीं रही हैं। इसलिए रेलवे ट्रेनों में आग को रोकने की तैयारियों को और बेहतर करने में जुटी है। वर्ष 2013-14 के रेल बजट में ज्यादा से ज्यादा एक्सप्रेस और मेल ट्रेनों के पेंट्री और पावर कार में फव्वारे लगाने का प्रस्ताव रखा जाएगा।

एलएचबी एसी कोच [लाइंक हॉफमैन बोश्च] में आग और धुएं का पता लगाने वाली प्रणाली का ट्रायल पूरा हो चुका है। रेलवे की योजना इस प्रणाली को ज्यादा से ज्यादा कोचों में लगाने की है। रेलवे पर गठित स्थायी समिति भी राज्यों के स्वामित्व वाली कंपनियों को इससे निपटने के उपाय तलाशने को कहा था। संसदीय समिति भी स्वाचालित फायर अलार्म लगाने का निर्देश दे चुका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.