किंगफिशर का लाइसेंस खत्म
किंगफिशर एयरलाइन का उड़ान लाइसेंस सोमवार को खत्म हो गया। इससे विजय माल्या की इस विमानन कंपनी का परिचालन दोबारा शुरू होने की उम्मीद को झटका लगा है। अब इसमें और देरी होगी। हालांकि, नियमों के मुताबिक लाइसेंस अवधि खत्म होने के दो साल के अंदर कंपनी कभी भी इसके नवीनीकरण के लिए आवेदन कर सकती है। विमानन नियामक
नई दिल्ली। किंगफिशर एयरलाइन का उड़ान लाइसेंस सोमवार को खत्म हो गया। इससे विजय माल्या की इस विमानन कंपनी का परिचालन दोबारा शुरू होने की उम्मीद को झटका लगा है। अब इसमें और देरी होगी। हालांकि, नियमों के मुताबिक लाइसेंस अवधि खत्म होने के दो साल के अंदर कंपनी कभी भी इसके नवीनीकरण के लिए आवेदन कर सकती है। विमानन नियामक डीजीसीए को ठोस पुनरुद्धार योजना नहीं सौंपने की वजह से ही किंगफिशर के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया।
कर्ज संकट में फंसी किंगफिशर का लाइसेंस अक्टूबर से ही निलंबित है। डीजीसीए ने लाइसेंस नवीनीकरण से पहले एयरलाइन से ठोस वित्तीय एवं परिचालन योजना की मांग की थी। किंगफिशर ने योजना तो सौंप दी लेकिन डीजीसीए अभी इस पर विचार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, नियामक ने एयरलाइन से सीमित परिचालन की मंजूरी देने से पहले कुछ और विवरण मांगे हैं।
डीजीसीए सूत्रों के मुताबिक किंगफिशर की वित्तीय हालत पतली है। हमें एयरलाइन से इस बारे में ठोस जानकारियां चाहिए। इसलिए अभी तक लाइसेंस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण [एएआइ] लाइसेंस बहाल न करने पर जोर दे रहा है। एएआइ का कहना है कि जब तक किंगफिशर बकाये का पूरा भुगतान न कर दे उसे उड़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। किंगफिशर पर बैंकों का 7,524 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं, हवाई अड्डा संचालकों, राजस्व विभाग और अन्य का करोड़ों रुपया बकाया है। कर्ज में दबी कंपनी को अब कोई भी बैंक नया कर्ज देना नहीं चाहता है। लाइसेंस अवधि समाप्त होने के साथ ही एयरलाइन के शेयर दो फीसद गिरकर 14.92 रुपये पर बंद हुए।