कांग्रेस की हार से खजाने पर दबाव बढ़ने की आशंका
चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के चारों खाने चित्त होने से सरकार के राजकोषीय प्रबंधन पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। वैश्विक वित्तीय व रेटिंग एजेंसियां मान रही हैं कि अब सरकार के लिए अपने खर्चो पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाएगा। इस स्थिति में राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में लक्ष्य से ऊपर जाने की
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के चारों खाने चित्त होने से सरकार के राजकोषीय प्रबंधन पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। वैश्विक वित्तीय व रेटिंग एजेंसियां मान रही हैं कि अब सरकार के लिए अपने खर्चो पर नियंत्रण रखना मुश्किल हो जाएगा। इस स्थिति में राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में लक्ष्य से ऊपर जाने की आशंका प्रबल हो गई है।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को लेकर सरकार पर अब राजनीतिक दबाव हावी हो सकते हैं। सरकार राजकोषीय प्रबंधन को लक्ष्यों के भीतर रखने पर वचनबद्ध है। इसके लिए हाल ही में सरकारी खर्च में कटौती का ऐलान किया गया था। लेकिन अगले छह महीने में लोकसभा चुनावों को देखते हुए सरकार के लिए अब इस ऐलान पर बने रहना मुश्किल हो जाएगा। राजनीतिक दृष्टि से सरकार को अब लोक लुभावन कार्यक्रमों पर ज्यादा खर्च की जरूरत महसूस होगी। ऐसा होने पर राजकोषीय घाटे में वृद्धि की आशंका बढ़ जाएगी।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने चालू साल में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.8 फीसद तक सीमित रखने का लक्ष्य तय किया था। लेकिन चालू वित्त वर्ष के सात महीने में ही यह लक्ष्य के 84 फीसद तक जा पहुंचा है। इसके बाद ही वित्त मंत्री ने सरकारी खर्च में कटौती का प्रस्ताव किया था। लेकिन फिच का मानना है कि अब सरकार के लिए अपने इस ऐलान पर टिके रहना मुश्किल होगा। फिच का अनुमान है कि अगर राजस्व में तेज वृद्धि नहीं होती है तो वित्त वर्ष के आखिरी पांच महीने में राजकोषीय घाटे को काबू में रखने का दबाव बढ़ जाएगा। इसका असर केंद्र में आने वाली अगली सरकार तक जाएगा।