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फिच ने बैंकों को दी निगेटिव आउटलुक, पूंजीगत स्थिति पर जताई चिंता

वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत के बैंकिंग सेक्टर को खराब पूंजीगत स्थिति के कारण निगेटिव आउटलुक दी है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 14 Sep 2017 10:39 PM (IST)Updated: Thu, 14 Sep 2017 10:39 PM (IST)
फिच ने बैंकों को दी निगेटिव आउटलुक, पूंजीगत स्थिति पर जताई चिंता
फिच ने बैंकों को दी निगेटिव आउटलुक, पूंजीगत स्थिति पर जताई चिंता

नई दिल्ली (जेएनएन)। रेटिंग एजेंसी फिच ने कमजोर पूंजीगत स्थिति और वित्तीय प्रदर्शन का हवाला देते हुए देश के बैंकिंग सेक्टर को निगेटिव आउटलुक दी है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बैंक खराब पूंजीगत स्थिति और राज्य एवं पूंजी बाजार से पर्याप्त समर्थन के बिना संवेदनशील दिखते हैं।

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एजेंसी की इस रिपोर्ट में कहा गया, “यह निगेटिव आउटलुक बैंकों की कमजोर पूंजीगत स्थिति के जारी रहने, ऋण क्षेत्र की वृद्धि खराब रहने की उम्मीद, खराब आय, अस्थिर परिसंपत्ति गुणवत्ता और बढ़ती जा रही लागत के मद्देनजर हमारे आंकलन पर आधारित है।”

Basel III मानकों को पूरा करने के लिए बैंकों को 65 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत: फिच

मार्च 2019 तक बेसिल-III के कैपिटल एडिक्वेसी नॉर्म को पूरा करने और ग्रोथ को बढ़ाने के लिए भारतीय बैंकों को अतिरिक्त पूंजी के रूप में 65 बिलियन अमरीकी डॉलर की आवश्यकता होगी, जो कि पहले लगाए गए अनुमान से कम है। यह बात फिच रेटिंग एजेंसी ने कही है।

एजेंसी ने आगे कहा कि पूंजी के लिहाज से कमजोर स्थिति बैंकों की वियाबिलिटी रेटिंग पर प्रमुख रुप से नकारात्मक असर डालती है। अगर समस्या का समाधान नहीं किया गया तो यह और दबाव में आ जाएगी। फिच ने कहा, “बेसिल III मानकों, जिसे मार्च 2019 को खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष के दौरान पूरी तरह कार्यान्वित कर दिया जाएगा, को पूरा करने के लिए भारतीय बैंकों को करीब 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जरूरत होगी।”


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