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फंसे कर्ज की रिकवरी और सख्ती से बैंकों को राहत, नॉन परफॉर्मिंग लोन में आई गिरावट

चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक के नौ महीने के एनपीएल का अनुपात 10.8 फीसद है जो पिछले वित्त वर्ष के आखिर 11.15 फीसद था।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Fri, 29 Mar 2019 11:28 AM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2019 11:28 AM (IST)
फंसे कर्ज की रिकवरी और सख्ती से बैंकों को राहत, नॉन परफॉर्मिंग लोन में आई गिरावट
फंसे कर्ज की रिकवरी और सख्ती से बैंकों को राहत, नॉन परफॉर्मिंग लोन में आई गिरावट

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बुरे कर्ज के मामले में भारतीय बैंकिंग व्यवस्था को बड़ी राहत मिली है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच के मुताबिक बैंकिंग क्षेत्र के एनपीएल (नॉन परफॉरमिंग लोन) में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीने में कमी आई है।

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फिच के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक के नौ महीने के एनपीएल का अनुपात 10.8 फीसद है, जो पिछले वित्त वर्ष के आखिर 11.15 फीसद था। एजेंसी ने कहा कि पहले के मुकाबले बुरे कर्ज की संख्या में आई कमी और फंसे हुए कर्ज की बेहतर रिकवरी से कई बैंकों को एनपीएल कम करने में मदद मिली है।

फिच की रेटिंग के अनुसार, 21 सरकारी बैंकों में से 14 में प्रोविजनिंग का दबाव कम हुआ है, जिससे मध्यम या छोटे आकार के सरकारी बैंक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

एजेंसी ने कहा कि जटिल कानूनी प्रक्रियाओं के कारण बैंकिंग सिस्टम के 150 अरब एनपीएल (वित्त वर्ष 2018) में कुछ बड़े एनपीएल के निपटारे में विलंब हुआ है। गौरतलब है कि आईबीसी कोड के मुताबिक समाधान की प्रक्रिया को 270 दिनों के पूरा कर लिया जाना है।

गौरतलब है कि पिछले एक हफ्ते के दौरान देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 6,169 करोड़ रुपये की नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) खातों को नीलाम किया है। वहीं दूसरे बड़े सरकारी बैंक पीएनबी (पंजाब नैशनल बैंक) ने भी रिकवरी की प्रक्रिया तेज की है। चालू वित्त वर्ष की तीन तिमाहियों में पीएनबी ने 16,000 करोड़ रुपये की रिकवरी करते हुए आखिरी तिमाही में 10,000 करोड़ रुपये की रिकवरी का लक्ष्य रखा है।

यह भी पढ़ें: PNB ने मार्च तिमाही में 10,000 करोड़ रुपये की रिकवरी का रखा लक्ष्य


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