खरीफ पैदावार के पहले अग्रिम अनुमान में दिखी गिरावट, पहले सूखा और फिर बाढ़ बनी वजह
मानसून सीजन जुलाई मध्य में सक्रिय हुआ जिससे खरीफ फसलों की बोआई कई क्षेत्रों में प्रभावित हुई। लेकिन मानसून की बारिश शुरू हुई तो कई राज्यों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पहले सूखा और फिर लगातार भारी बारिश व बाढ़ ने चालू खरीफ सीजन-2019-20 की फसलों की पैदावार को खासा प्रभावित किया है। कृषि मंत्रलय की ओर से जारी खाद्यान्न उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान में गिरावट का रुख दर्ज किया गया है। खरीफ की सबसे बड़ी फसल धान की पैदावार में ही 18 लाख टन तक की गिरावट का अनुमान व्यक्ति किया गया है।
चालू मानसून सीजन में सितंबर के मध्य तक कुल चार फीसद अधिक बरसात हो चुकी है, जो अभी भी देश के कई हिस्सों में जारी है। मानसून सीजन जुलाई मध्य में सक्रिय हुआ, जिससे खरीफ फसलों की बोआई कई क्षेत्रों में प्रभावित हुई। लेकिन मानसून की बारिश शुरू हुई तो कई राज्यों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई। इससे खेतों में खड़ी फसलें प्रभावित हुई हैं।
इसी के चलते खाद्यान्न के पहले अग्रिम अनुमान में गिरावट दर्ज की गई है। खाद्यान्न की कुल पैदावार 14.05 करोड़ टन होगी जो पिछले साल 2018-19 की पैदावार 14.17 करोड़ टन के मुकाबले मामूली रूप से कम है। खरीफ सीजन की बड़ी फसल धान की पैदावार में 18 लाख टन की गिरावट आने का अनुमान है।
जारी अनुमान के मुताबिक इस बार 10.03 करोड़ टन धान का उत्पादन होगा। जबकि पिछले साल की कुल पैदावार 10.21 करोड़ टन रही है। मोटे अनाज की पैदावार 3.2 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले अधिक होगी। घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दलहनी फसलों पर ज्यादा जोर दिया गया है। लेकिन पहले अग्रिम अनुमान में इन फसलों में गिरावट का रुख दर्ज किया गया है।
खरीफ दलहन फसलों का उत्पादन 82.3 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल के खरीफ सीजन में दलहन का उत्पादन 85.9 लाख टन हुआ था। हालांकि चालू सीजन में दलहन की पैदावार का लक्ष्य 1.01 करोड़ टन रखा गया है। इसके मुकाबले तिलहनी फसलों की पैदावार 2.24 करोड़ टन होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल 2.21 करोड़ टन तिलहन का उत्पादन हुआ था। हालांकि चालू खरीफ सीजन के लिए 2.58 करोड़ टन तिलहन की पैदावार का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।