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पैसों से जुड़ी इन पांच बातों का हमेशा रखें ध्यान, वित्तीय संकट में कभी नहीं फंसेंगे आप

एक्सपर्ट्स कहते है कि लोन आपकी मौजूदा आय खर्च और सरप्लस के आधार पर लिया जाना चाहिए। एक थंब रूल के अनुसार ईएमआई की राशि आपकी वर्तमान आय के 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही सिर्फ इसलिए लोन न लें क्योंकि यह उपलब्ध है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sun, 11 Jul 2021 12:54 PM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 06:58 AM (IST)
पैसों से जुड़ी इन पांच बातों का हमेशा रखें ध्यान, वित्तीय संकट में कभी नहीं फंसेंगे आप
Financial planning tips P C : Pixabay

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोरोना वायरस महामारी ने फाइनेंशियल प्लानिंग का महत्व काफी बढ़ा दिया है। इस दौर ने हमें बचत और निवेश की अहमियत के बारे में बताया है। इस दौर में बहुत से लोगों को नकदी संकट का सामना करना पड़ा है। जिन लोगों को हर महीने EMI का भुगतान करना होता है, उनकी स्थिति इस दौर में और भी खराब हुई। ऐसी मुसीबतें हमें बता रही है कि हमें अपनी पैसों से जुड़ी आदतों में बदलाव करना ही होगा। आज हम आपको ऐसी पांच बातें बताएंगे तो आपकी वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाए रखने में मदद करेंगी।

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नॉमिनी अपडेट करें और वसीयत लिखें

कोरोना वायरस की दूसरी लहर में मृत्यु दर पहली लहर की तुलना में बहुत अधिक है और पीड़ित केवल वरिष्ठ नागरिकों तक सीमित नहीं होने के कारण विभिन्न आयु वर्ग के हैं। इन स्थितियों में यदि पीड़ित परिवार में एकमात्र कमाने वाला सदस्य है और उसने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है, तो उसके परिवार को उसकी संपत्ति और बीमा पॉलिसियों तक पहुंच बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। इसलिए वसीयत तैयार करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि आपातकालीन कोष बनाना महत्वपूर्ण है। साथ ही आपको जल्द से जल्द अपने प्रियजनों के नाम नॉमिनी के रूप में देने चाहिए।

ज्यादा उधार न लें

वेतन में कटौती और व्यावसायों पर प्रतिबंधों के इस समय में वे लोग अपनी EMI भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिन्होंने ऐसी संपत्ति खरीदने के लिए Loan लिया, जो कोई आय प्रदान नहीं करती। जिन लोगों ने अपनी भविष्य की आय के बारे में सुनहरी धारणा बनाकर अपनी चुकाने की क्षमता से अधिक उधार लिया है, उन्हें इस महामारी के दौरान विशेष रूप से परेशानी का सामना करना पड़ा है, क्योंकि उनकी आय उनकी अपेक्षा के अनुसार नहीं बढ़ी है, लेकिन उनके खर्च में वृद्धि हुई है।

एक्सपर्ट्स कहते है कि लोन आपकी मौजूदा आय, खर्च और सरप्लस के आधार पर लिया जाना चाहिए। एक थंब रूल के अनुसार, ईएमआई की राशि आपकी वर्तमान आय के 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही सिर्फ इसलिए लोन न लें, क्योंकि यह उपलब्ध है। यदि आपकी ईएमआई आपकी आय का बहुत अधिक हिस्सा ले लेती है, तो अन्य महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्य, जैसे सेवानिवृत्ति या आपके बच्चों की शिक्षा के लिए बचत आदि बाधित हो सकते हैं।

बड़े लोन्स को अलग टर्म प्लान के साथ कवर करें

यदि आपके पास Home Loan या बड़े Personal Loan जैसे बड़े लोन हैं, तो आपके पास लोन राशि और लोन की अवधि के बराबर टर्म कवर होना चाहिए, ताकि आपकी असामयिक मृत्यु की स्थिति में आपके परिवार पर बोझ ना आए। इस महामारी के दौरान यह देखा गया है कि कमाने वाले की मृत्यु के बाद परिवार वाले मृतक के नाम पर गिरवी रखे घर पर कब्जा तो कर लेते हैं, लेकिन टर्म इंश्योरेंस के तहत कवर नहीं होते हैं। ऐसे लोग फिर घर से वंचित हो रहे हैं, क्योंकि ऋणदाता गिरवी रखे हुए घर को होम लोन की वसूली के लिए अपने कब्जे में ले लेता है।

बचत का कुछ हिस्सा लिक्विड एसेट्स में रखें

महामारी के दौरान कई धनी लोगों को भी अपने चिकित्सा बिलों का भुगतान करने के लिए नकदी की व्यवस्था करने में संघर्ष करना पड़ा है, क्योंकि उनकी अधिकांश संपत्ति अचल संपत्ति जैसे रियल एस्टेट, बीमा पॉलिसियों और अन्य उपकरणों में फंसी हुई थी। हालांकि, गैर-नकदी संपत्तियों में पैसा रखना गलत नहीं है, लेकिन आपकी बचत का एक बड़ा हिस्सा तरल संपत्ति में होना चाहिए, ताकि आप कम समय में निवेश की हानि के बिना उन्हें नकदी में परिवर्तित कर सकें।

मेडिकल इमरजेंसी के लिए अलग से पैसा बचाएं

महामारी की दूसरी लहर में कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले हजारों लोगों को भारी बिल थमाए गए, जिसमें पीपीई किट और स्वच्छता उपकरणों की लागत भी शामिल है। अधिकांश स्वास्थ्य बीमा कंपनियों ने एक विशेष राशि के बाद इन दावों को अस्वीकार कर दिया या चिकित्सा बिलों का आंशिक निपटान किया। इसके कारण पॉलिसीधारकों को कुल मेडिकल बिल का 30-40 फीसद खुद से वहन करना पड़ा और कुछ मामलों में यह 50% भी पहुंच गया था।

इसी तरह, बहुत से मामलों में जिनके पास कैशलेस पॉलिसी थी, उन्हें कैशलेस सेवाओं से वंचित कर दिया गया और उन्हें पूरा बिल अपनी जेब से देना पड़ा और बाद में बीमा कंपनी से राशि का दावा करना पड़ा। इसलिए यदि आपके पास मेडिकल इंश्योरेंस है, तो भी यह अस्पताल में भर्ती होने के सभी खर्चों को कवर नहीं कर सकता, इसलिए आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए और इन अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बफर बनाकर रखना चाहिए।


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