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Crude Oil में गिरावट से खाड़ी देशों पर गहराया वित्तीय संकट, बॉन्ड बेचकर जुटा रहे रकम

Crude Oil सऊदी अरब के अलावा कतर ने दो हफ्ते पहले बॉन्ड की बिक्री कर 10 अरब डॉलर जुटाए थे।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 10:37 AM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2020 10:37 AM (IST)
Crude Oil में गिरावट से खाड़ी देशों पर गहराया वित्तीय संकट, बॉन्ड बेचकर जुटा रहे रकम
Crude Oil में गिरावट से खाड़ी देशों पर गहराया वित्तीय संकट, बॉन्ड बेचकर जुटा रहे रकम

नई दिल्ली, पीटीआइ। क्रूड ऑयल की खपत में जबरदस्त गिरावट के कारण तेल उत्पादक देशों और खास तौर से खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था को बड़ा भारी नुकसान पहुंचा है। खपत में कमी से कच्चे तेल की कीमतों में अभूतपर्व गिरावट रुकने का नाम नहीं ले रही है, जिससे खाड़ी देशों पर वित्तीय संकट गहराता जा रहा है। हालत यह है कि खाड़ी देशों को बॉन्ड बेचकर पैसे जुटाने पड़ रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति है, जिससे औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। इसका सीधा असर तेल की खपत पर पड़ा है।

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अबुधाबी की ओर से रविवार को बताया गया है कि उसने बॉन्ड बेचकर सात अरब डॉलर जुटाए हैं।  इस महीने यह तीसरी बार है, जब खाड़ी देशों ने बॉन्ड बेचकर पैसे जुटाए हैं। खाड़ी देश अपनी वित्तीय हालत सुधारने के लिए बॉन्ड जारी कर रकम जुटा रहे हैं। तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक के महत्वपूर्ण देश सऊदी अरब ने पिछले हफ्ते बॉन्ड बेचकर सात अरब डॉलर जुटाए हैं। अबुधाबी के वित्त विभाग ने एक स्टेटमेंट में कहा, 'यह सौदा तीन किश्तों में हुआ है। इस सौदे के अनुसार, तीन अरब डॉलर के बॉन्ड 30 साल बाद, दो अरब डॉलर के बॉन्ड 10 साल बाद और दो अरब डॉलर के बॉन्ड पांच साल बाद मैच्योर होंगे।'

गौरतलब है कि खाड़ी सहयोग संगठन यानी GCC में अबु धाबी के पास सबसे बड़ा सरकारी संपत्ति भंडार है। यह भंडार काफी हद तक तेल से होने वाली आय पर ही निर्भर रहता है। जीसीसी के छह सदस्य देशों की 65 से 90 फीसद कमाई तेल से ही होती है। सऊदी अरब के अलावा कतर ने दो हफ्ते पहले बॉन्ड की बिक्री कर 10 अरब डॉलर जुटाए थे। कतर गैस के मामले में काफी समृद्ध देश समझा जाता है।

यहां बता दें कि पिछले हफ्ते ओपेक और उसके सहयोगी देशों के बीच तेल उत्पादन में कटौती को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसमें 97 लाख बैरल प्रतिदिन की तेल कटौती को लेकर सहमति बनी थी। इस समझौते के बाद भी तेल की कीमतों में गिरावट नहीं थम रही है। रविवार शाम क्रूड ऑयल की कीमत 21 सालों के न्यूनतम स्तर पर आ गई। मांग में कमी और ग्लोबल स्टोरेज के अपनी सीमा तक भर जाने के कारण यह गिरावट आई है।


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