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वित्त मंत्रालय ने राज्यों को अप्रैल से दिसंबर के दौरान बाजार से कुल 3.20 लाख करोड़ का कर्ज लेने की दी अनुमति

पश्चिम बंगाल 20336 करोड़ महाराष्ट्र 46182 करोड़ उत्तर प्रदेश 29108 करोड़ कर्नाटक 27054 करोड़ गुजरात 26112 करोड़ और राजस्थान 16387 करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से ले सकता है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 07:26 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 10:04 PM (IST)
वित्त मंत्रालय ने राज्यों को अप्रैल से दिसंबर के दौरान बाजार से कुल 3.20 लाख करोड़ का कर्ज लेने की दी अनुमति
वित्त मंत्रालय ने राज्यों को अप्रैल से दिसंबर के दौरान बाजार से कुल 3.20 लाख करोड़ का कर्ज लेने की दी अनुमति

नई दिल्ली, पीटीआइ। वित्त मंत्रालय ने सभी राज्यों को अप्रैल से दिसंबर महीने के दौरान बाजार से कुल 3.20 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेने की अनुमति दी है। वित्त मंत्रालय ने यह कदम कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए राज्यों की केंद्र से बड़े फंड की मांग के बाद उठाया है। आरबीआई को लिखे एक पत्र में मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र ने राज्यों को बाजार से कर्ज लेने की अनुमति दी है। इस पत्र के अनुसार, देश के 28 राज्यों को कुल तीन लाख 20 हजार 481 करोड़ रुपये बाजार से कर्ज लेने की अनुमति दी गई है।

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इस पत्र के अनुसार, पश्चिम बंगाल 20,336 करोड़, महाराष्ट्र 46,182 करोड़, उत्तर प्रदेश 29,108 करोड़, कर्नाटक 27,054 करोड़, गुजरात 26,112 करोड़ और राजस्थान 16,387 करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से ले सकता है। पत्र में कहा गया, 'भारतीय रिज़र्व बैंक खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए राज्यों के परामर्श के साथ जरूरी व्यवस्था करने का निवेदन करता है।'

साथ ही यह भी कहा गया है कि अप्रैल से दिसंबर यानी मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में खुले बाजार से कर्ज लेने के लिए आगे की सहमति राज्यों से पूरी जानकारी प्राप्त होने के बाद दी जाएगी।

गौरतलब है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को  30 सितंबर तक तत्काल प्रभाव से ओवरड्राफ्ट सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए अधिक लचीलापन प्रदान किया है। यह सुविधा अब पहले के 14 दिनों के मुकाबले 21 दिनों के लिए उपलब्ध होगी।

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में बीती 25 मार्च से 21 दिनों का संपूर्ण लॉकडाउन लागू है। वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सरकार द्वारा यह कदम उठाया गया था। इस दौरान आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को छोड़कर सभी औद्योगिक और व्यापारिक गितिविधियां बंद होने से अर्थव्यवस्था के स्तर पर काफी चुनौतिपूर्ण स्थितियां बनी हुई हैं।


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