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छह साल में 2,838 पाकिस्तानी, 914 अफगान, 172 बांग्लादेशी शरणार्थियों को दी गई नागरिकता : निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने CAA को लेकर कहा कि पूर्वी पाकिस्तान से आए लोग अब भी विभिन्न शिविरों में रह रहे हैं और इस बात को अब 50-60 वर्ष हो गए हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 12:42 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 02:09 PM (IST)
छह साल में 2,838 पाकिस्तानी, 914 अफगान, 172 बांग्लादेशी शरणार्थियों को दी गई नागरिकता : निर्मला सीतारमण
छह साल में 2,838 पाकिस्तानी, 914 अफगान, 172 बांग्लादेशी शरणार्थियों को दी गई नागरिकता : निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा है कि पिछले छह वर्षों में 2,838 पाकिस्तानी, 914 अफगानिस्तानी, 172 बांग्लादेशी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिली है। उन्होंने कहा कि इनमें मुसलमान शरणार्थी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 1964 से 2008 तक श्रीलंका के चार लाख तमिलों को भी नागरिकता दी गई। उन्होने कहा 2014 तक पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 566 मुसलमानों को भी देश की नागरिकता मिली थी। वित्त मंत्री ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बड़ा बयान दिया है।

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वित्त मंत्री ने चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि 2016 से 2018 के बीच पाकिस्तान के 1,595 शरणार्थियों और अफगानिस्तान के 391 मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता मिली। 2016 में अदनान सामी को नागरिकता दी गई थी। यह एक उदाहरण है। तसलीमा नसरीन दूसरी उदाहरण हैं। यह साबित करता है कि हमारे खिलाफ लगे सभी आरोप गलत हैं। 

उन्होंने कहा कि इस कानून का मकसद लोगों की जिंदगियों को बेहतर बनाना है। सीतारमण ने कहा कि सरकार किसी भी व्यक्ति की नागरिकता छीन नहीं रही है बल्कि नागरिकता देने के लिए यह कदम उठाया गया है। न्यूज एजेंसी एएनआई के ट्वीट के मुताबिक सीतारमण ने चेन्नई में यह बात कही।  

वित्त मंत्री ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान से आए लोग अब भी विभिन्न शिविरों में रह रहे हैं और इस बात को अब 50-60 वर्ष हो गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप उन शिविरों में जाएंगे तो आपको रोना आ जाएगा। श्रीलंका के शरणार्थियों की भी स्थिति वैसी ही है और वे शिविरों में रह रहे हैं। उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल सकी हैं।

वित्त मंत्री ने सीएए को लागू नहीं करने के कुछ राज्यों के प्रस्ताव को 'असंवैधानिक' करार दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा पारित कानून को लागू करना सभी राज्यों की जिम्मेदारी है। 


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