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कृषि कर्ज माफी के वादों से वित्त आयोग है चिंतित

इससे भारत में निवेश के माहौल पर भी बुरा असर पड़ेगा।

By NiteshEdited By: Published: Sun, 23 Dec 2018 10:09 AM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 03:30 PM (IST)
कृषि कर्ज माफी के वादों से वित्त आयोग है चिंतित
कृषि कर्ज माफी के वादों से वित्त आयोग है चिंतित

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पिछले कुछ समय के दौरान कई राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा किसान कर्ज माफी का किया गया वादा एक नया ट्रेंड बनता जा रहा है। वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने इस उभरते ट्रेंड पर गहरी चिंता जताई है। सिंह ने शनिवार को कहा कि इससे न केवल उन राज्यों का राजकोषीय घाटा काबू से बाहर चला जाएगा, बल्कि वृहत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी देश को बड़ी अस्थिरता का सामना करना पड़ेगा। इससे भारत में निवेश के माहौल पर भी बुरा असर पड़ेगा।

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सिंह ने कहा कि कई राज्य अपनी प्राथमिकताओं के निर्धारण में राजकोषीय अनुशासन की अवहेलना करते दिख रहे हैं। यह उन राज्यों की वित्तीय स्थिति के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले ऐसा नहीं होता था और सरकारें अपनी राजकोषीय हालत के हिसाब से कदम उठाती थीं। सिंह का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब मध्य प्रदेश और राजस्थान में पिछले दिनों सत्ता परिवर्तन के साथ ही कृषि कर्ज माफी की घोषणा कर दी गई है।

स्कॉच समिट को संबोधित करते हुए सिंह ने संवैधानिक तंत्रों के माध्यम से केंद्र-राज्य संबंधों को मजबूती देने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि सरकार को उत्पादन के तीन महत्वपूर्ण कारकों श्रम, भूमि और पूंजी को ध्यान में रखते हुए ही सुधारवादी कदमों को गति देने के बारे में सोचना चाहिए।हालांकि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबोरॉय ने कहा कि देश के विकास को गति देने के लिए सभी संस्थाओं के ढांचे को फिर से जांचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश की प्रति व्यक्ति आय सालाना 2,000 डॉलर (लगभग 1.40 लाख रुपये) पर पहुंचने वाली है और आने वाले समय में यह और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अगर हमने विकास को गति देने के उपायों पर ठोस कदम नहीं उठाए, तो देश अपेक्षाकृत गरीब का गरीब रह जाएगा। 


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