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कंपोजीशन स्कीम से टैक्स चोरी का शक, कम हुआ रिटर्न भरने वालों का अनुपात

कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत व्यवसायियों ने जुलाई-सितंबर तिमाही में मात्र 357 करोड़ रुपये टैक्स दिया था, जो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बढ़कर 561 करोड़ रुपये हो गया है।

By Shubham ShankdharEdited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 07:54 AM (IST)Updated: Wed, 14 Mar 2018 07:54 AM (IST)
कंपोजीशन स्कीम से टैक्स चोरी का शक, कम हुआ रिटर्न भरने वालों का अनुपात
कंपोजीशन स्कीम से टैक्स चोरी का शक, कम हुआ रिटर्न भरने वालों का अनुपात

नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए शुरू की गई जीएसटी कंपोजीशन स्कीम का टैक्स चोरी के लिए दुरुपयोग हो रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद परोक्ष कर संग्रह में अपेक्षानुरूप वृद्धि न होने की वजह से खजाना भरने में जुटे टैक्स अधिकारियों ने ऐसी आशंका जताई है। यह शंका इसलिए पैदा हुई है कि कंपोजीशन स्कीम के तहत रिटर्न दाखिल करने वाले व्यवसायियों का प्रतिशत बढ़ने के बजाय कम हो रहा है। स्कीम लेने वाले असेसीज के औसत टर्नओवर का आंकड़ा भी पांच लाख रुपये के आस-पास ही टिका है।

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सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) और जीएसटीएन ने अब तक दाखिल जीएसटी रिटर्न के आधार पर आंकड़ों का जो विश्लेषण किया है, उसमें ये चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शनिवार को हुई जीएसटी काउंसिल की 26वीं बैठक में राज्यों के वित्त मंत्रियों के समक्ष इन तथ्यों को पेश किया गया। माना जा रहा है कि इन तथ्यों के आधार पर केंद्र और राज्यों के अधिकारी रिटर्न न दाखिल करने वाले व्यवसायियों के खिलाफ कदम उठा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही के लिए 17.24 लाख व्यवसायियों ने जीएसटी कंपोजीशन स्कीम का चुनाव किया था, जिसमें में 12.35 लाख अर्थात 72 फीसद ने रिटर्न दाखिल किया। इससे पहले यानी जुलाई-सितंबर की तिमाही में 11.41 लाख व्यवसायियों में से 8.88 लाख (79 फीसद) ने रिटर्न दाखिल किया था। जीएसटी एक जुलाई, 2017 को लागू हुआ था। स्पष्ट है कि जीएसटी लागू होने के बाद शुरुआती छह महीनों में कंपोजीशन स्कीम के तहत रिटर्न दाखिल करने वालों का प्रतिशत बढ़ने के बजाय कम हुआ है।

उल्लेखनीय है कि जीएसटी के तहत कंपोजीशन स्कीम लेने वाले व्यापारियों को तीन महीने में एक बार रिटर्न दाखिल करना होता है। वैसे तो सालाना 20 लाख रुपये से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को जीएसटी के लिए पंजीकरण कराना होता है, लेकिन छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए कंपोजीशन स्कीम का विकल्प है, जिसमें सालाना एक करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाले व्यापारी इसका चुनाव कर सकते हैं। कंपोजीशन स्कीम चुनने वाले व्यापारियों को उनके टर्नओवर का सिर्फ एक प्रतिशत ही टैक्स देना होता है। यह सुविधा मैन्यूफैक्चरिंग, व्यापार और रेस्त्रां सेवा के लिए है।

कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत व्यवसायियों ने जुलाई-सितंबर तिमाही में मात्र 357 करोड़ रुपये टैक्स दिया था, जो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बढ़कर 561 करोड़ रुपये हो गया है। इस तरह कंपोजीशन स्कीम से जीएसटी संग्रह काफी कम रहा है। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि कंपोजीशन स्कीम लेने वाले व्यवसायियों ने अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में औसत टर्नओवर मात्र पांच लाख रुपये दिखाया है। जुलाई-सितंबर तिमाही में यह 4.7 लाख रुपये था। यह स्कीम लेने वाले व्यवसायियों का औसत टर्नओवर जीएसटी पंजीकरण के लिए जरूरी सीमा से कम है। दो महीनों जुलाई और अगस्त को छोड़ दें तो जीएसटी संग्रह में गिरावट आ रही है। जनवरी, 2018 में जीएसटी संग्रह 86,318 करोड़ रुपये रहा, जो दिसंबर में वसूले गए 86,703 करोड़ रुपये के मुकाबले कम है।


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