Move to Jagran APP

पेंशन सेक्टर में 74 फीसद FDI की तैयारी, मानसून सत्र में विधेयक ला सकती है सरकार

सूत्रों ने बताया कि पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) अधिनियम 2013 में संशोधन के लिए मानसून सत्र या शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसके जरिये पेंशन क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाई जाएगी।

By NiteshEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 08:59 AM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 03:00 PM (IST)
पेंशन सेक्टर में 74 फीसद FDI की तैयारी, मानसून सत्र में विधेयक ला सकती है सरकार
FDI in pension sector may be hiked to 74 Percent

नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार पेंशन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की सीमा बढ़ाकर 74 फीसद कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि संसद के मानसून सत्र में इस संबंध में विधेयक लाया जा सकता है। बीमा क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा को 49 से बढ़ाकर 74 फीसद करने के संशोधन को संसद ने पिछले महीने ही मंजूरी दी है। बीमा अधिनियम, 1938 में इससे पहले 2015 में संशोधन कर एफडीआइ की सीमा को बढ़ाकर 49 फीसद किया गया था। इससे इस क्षेत्र में पांच साल में 26,000 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया। 

loksabha election banner

सूत्रों ने बताया कि पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) अधिनियम, 2013 में संशोधन के लिए मानसून सत्र या शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसके जरिये पेंशन क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाई जाएगी। अभी पेंशन क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा 49 फीसद है। सूत्रों ने बताया कि संशोधन विधेयक में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) ट्रस्ट को पीएफआरडीए से अलग करने का प्रविधान भी हो सकता है। 

एनपीएस न्यास के अधिकार, कामकाज और दायित्व अभी पीएफआरडीए (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास) नियमन, 2015 के तहत तय होते हैं। इसे परमार्थ न्यास (चैरिटेबल ट्रस्ट) या कंपनी कानून के तहत लाया जा सकता है। इसके पीछे मंशा एनपीएस ट्रस्ट को पेंशन नियामक से अलग करना और 15 सदस्यों के सक्षम बोर्ड का प्रबंधन है। इनमें से ज्यादातर सदस्य राज्यों सहित सरकार से होंगे, क्योंकि इसमें सबसे बड़ा योगदान इन्हीं का रहता है। पीएफआरडीए की स्थापना पेंशन सेक्टर में विधिवत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था। पेंशन योजनाओं के सदस्यों के हितों की सुरक्षा भी इसका दायित्व है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.