FASTag की अनिवार्यता की बढ़ सकती है तारीख, केवाईसी में भी छूट संभव
FASTag को पहली दिसंबर से ही अनिवार्य होना था। लेकिन कई अड़चनों के कारण एनएचएआइ ने फास्टैग अनिवार्यता की तारीख को बढ़ाकर 15 दिसंबर कर दिया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वाहनों में फास्टैग की अनिवार्यता की तारीख एक बार फिर बढ़ सकती है। फास्टैग को हासिल, एक्टिवेट और रिचार्ज करने के अलावा इस्तेमाल करने में आने वाली प्रक्रियागत और तकनीकी समस्याओं के कारण सरकार को ऐसा करना पड़ सकता है। सरकार ने बैंकों से फास्टैग हासिल करने में केवाईसी को बड़ी अड़चन माना है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आरबीआइ से फास्टैग के लिए केवाईसी की अनिवार्यता से छूट देने का अनुरोध किया है।
सूत्रों के अनुसार गडकरी ने इस संबंध में आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास से बात की है। गडकरी का यह भी मानना है कि जिन ड्राइवरों के पास फास्टैग नहीं है उन्हें फास्टैग देने की व्यवस्था हर टोल बूथ पर होनी चाहिए। मौजूदा व्यवस्था के तहत बिना फास्टैग वाहनों के ड्राइवरों से कैश लेन में दोगुना टोल देने का प्रावधान है।
फास्टैग को पहली दिसंबर से ही अनिवार्य होना था। लेकिन कई अड़चनों के कारण एनएचएआइ ने फास्टैग अनिवार्यता की तारीख को बढ़ाकर 15 दिसंबर कर दिया है। दिक्कतों के न सुलझने के कारण अब इस तारीख को और बढ़ाकर पहली जनवरी किए जाने की संभावना है। फास्टैग को लेकर कई तरह की समस्याएं देखने में आ रही हैं। इनमें सबसे पहली समस्या इसकी उपलब्धता और खरीद की है, जिसमें केवाईसी सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आया है।
केवाईसी की अनिवार्यता के कारण विशेषकर कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों के नाम पर पंजीकृत वाहनों के फास्टैग लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। केवाईसी के तहत बैंक आधार नंबर, पैन नंबर समेत एड्रेस प्रूफ मांगा जाता है। लेकिन यदि इनमें दर्ज पता वाहन के आरसी में दर्ज पते से मेल नहीं खाता है तो फास्टैग नहीं दी जाती है। केवाइसी की अनिवार्यता खत्म होने से यह दिक्कत दूर हो जाएगी। चूंकि आगे चलकर एनएचएआइ की योजना फास्टैग को नेशनल हाईवे के अलावा स्टेट हाईवे और एक्सप्रेसवे पर भी लागू करने की है। इसलिए केवाइसी की बाध्यता खत्म होना जरूरी है।
दूसरी समस्या फास्टैग के एक्टिवेशन और रिचार्ज से संबंधित है। जिन लोगों ने फास्टैग ले लिए हैं, उन्हें इन्हें एक्टिवेट और रिचार्ज करने में तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि बैंकों की वेबसाइट और फास्टैग मोबाइल एप में इसके लिए पूरी व्यवस्था है, परंतु मामूली गलती से पूरी प्रक्रिया निर्थक हो जाती है।
तीसरा झंझट टोल प्लाजा पर देखने को मिल रहा है, जहां कई लोगों के फास्टैग काम नहीं कर रहे हैं अथवा खाते से निर्धारित से ज्यादा राशि काटी जा रही है। कई जगह टोल प्लाजा में ही तकनीकी खामी पाई गई है। इन हालात को देखते हुए कुछ संगठनों ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने तथा फास्टैग की तारीख को और बढ़ाने का अनुरोध किया है।