डीजल जेनसेट पर लगेगी रोक
कच्चे तेल के आयात को कम करने के लिए सरकार अब डीजल जेनरेटरों पर अंकुश लगाने की तैयारी में है। यह तैयारी एक विस्तृत नीति के तौर पर है। इसके तहत डीजल चालित जेनरेटरों से बिजली पैदा करने वाले उद्योगों या अन्य निकायों को गैस आधारित पावर प्लांटों से बिजली की आपूर्ति की जाएगी। ऊर्जा मंत्री
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। कच्चे तेल के आयात को कम करने के लिए सरकार अब डीजल जेनरेटरों पर अंकुश लगाने की तैयारी में है। यह तैयारी एक विस्तृत नीति के तौर पर है। इसके तहत डीजल चालित जेनरेटरों से बिजली पैदा करने वाले उद्योगों या अन्य निकायों को गैस आधारित पावर प्लांटों से बिजली की आपूर्ति की जाएगी। ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को राज्यों के बिजली मंत्रियों की बैठक में इस महत्वाकांक्षी योजना का प्रस्ताव किया।
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ऊर्जा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक देश में अमूमन बिजली कटौती के दौरान जेनरेटरों से 72 हजार मेगावाट बिजली हर वर्ष बनाई जाती है। इसकी लागत औसतन 14 से 15 रुपये प्रति यूनिट आती है। वहीं, आयातित गैस आधारित बिजली प्लांट से महज आठ रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा सकती है। डीजल जेनसेट के इस्तेमाल का खामियाजा ज्यादा कच्चे तेल (क्रूड) के आयात के तौर पर उठाना पड़ता है। क्रूड आयात पर अभी सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च हो रही है जो चालू खाते का घाटा बढ़ा रहा है। केंद्रसरकार ने अगले तीन से चार वर्षो के भीतर चालू खाते के घाटे (देश में विदेशी मुद्रा के आने व बाहर जाने का अंतर) को मौजूदा 4.8 फीसद (सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में) से घटाकर 2.5 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में डीजल जेनसेट को रिप्लेस करने से घाटे को काबू करने में भी मदद मिलेगी।
सूत्रों के मुताबिक सिंधिया को देशभर से डीजल जेनसेट के खात्मे के लिए राज्यों से भरपूर सहयोग चाहिए। सबसे पहले देश में उन क्षेत्रों का चयन करना होगा जहां बिजली बनाने के लिए डीजल जेनरेटर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। फिर इन क्षेत्रों के आसपास गैस आधारित छोटे पावर प्लांट लगाने होंगे। डीजल जेनसेट को गैस आधारित बिजली प्लांट से ही रिप्लेस किया जा सकता है क्योंकि गैस पावर प्लांट को मांग के मुताबिक कभी भी ऑन और ऑफ किया जा सकता है। कोयला प्लांट के साथ ऐसा नहीं होता।
गैस पावर प्लांट खास तौर पर पीक आवर में बिजली बनाएंगे। सामान्य समय में इन निकायों या औद्योगिक क्षेत्रों को अन्य बिजली स्टेशनों से बिजली की आपूर्ति की जाएगी। जहां संभव होगा वहां पनबिजली परियोजनाओं से भी बिजली दी जाएगी। इसके लिए पावरग्रिड की भी मदद ली जाएगी। आगे चल कर इस योजना में बड़ी आवासीय कालोनियों या अन्य प्रतिष्ठानों को भी जोड़ा जा सकता है।