मजबूत व पारदर्शी सिस्टम सुनिश्चित करने के लिए फेसलेस असेसमेंट जरूरी: सर्वे
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा पारदर्शी कराधान प्लेटफार्म और विशेष रूप से फेसलेस असेसमेंट स्कीम कर प्रशासन और प्रशासन प्रणाली के निष्पक्ष और डाटा-आधारित होने के बारे में व्यवसायों को आश्वस्त करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। अधिकांश व्यवसायों का मानना है कि फेसलेस असेसमेंट से कर प्रशासन की दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार होगा। हालांकि सिस्टम इंटरफेस और वीडियो कांफ्रेंसिंग जैसी दिक्कतों को जल्द दूर किए जाने की जरूरत है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम के एक साल पूरा होने पर औद्योगिक संगठन सीआइआइ द्वारा किए गए एक सर्वे में यह आकलन सामने आया है। सर्वे के दौरान लगभग 88 फीसद लोगों का मानना था कि फेसलेस आकलन से कर अधिकारियों की ओर से इंटरफेस को कम करने और अवांछनीय प्रथाओं पर लगाम लगाने के सरकार के उद्देश्य को साकार करने में मदद मिलेगी।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'पारदर्शी कराधान प्लेटफार्म और विशेष रूप से फेसलेस असेसमेंट स्कीम, कर प्रशासन और प्रशासन प्रणाली के निष्पक्ष और डाटा-आधारित होने के बारे में व्यवसायों को आश्वस्त करने में एक महत्वपूर्ण कदम है।'
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सर्वे के दौरान 70 फीसद ऐसे व्यवसाय थे, जिन्होंने कहा कि कोरोना से संबंधित चुनौतियों के बावजूद फेसलेस असेसमेंट से जुड़े उनके अनुभव अच्छे थे। वहीं लगभग 73 फीसद ने महसूस किया कि भौतिक मूल्यांकन की तुलना में उनके कीमती समय की बचत हुई है।
विशेष रूप से महामारी के समय में, यह सुविधा बहुत उपयोगी रही है। लगभग 67 प्रतिशत ने महसूस किया कि फेसलेस असेसमेंट के तहत, अंतिम असेसमेंट आर्डर पिछले फिजिकल स्कूट्रनी असेसमेंट से बेहतर था। दो-तिहाई व्यवसायों की यह सकारात्मक प्रतिक्रिया नई योजना में करदाताओं के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है।
सर्वे के दौरान एक बड़े वर्ग ने यह भी महसूस किया कि असेसमेंट के समय उनसे जो प्रश्न पूछे गए वह काफी घुमावदार थे। सीआइआइ ने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन आगे चलकर सरकार को करदाताओं के साथ विश्वास बनाने के लिए फिशिंग और भ्रामक प्रश्नों से बचने की जरूरत हो सकती है।