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कंटेनर की 40 फीसद कमी से ढुलाई लागत में 50 फीसद की बढ़ोतरी, ऑर्डर के बावजूद समय पर माल नहीं भेज पा रहे हैं निर्यातक

कंटेनर की कमी और लागत में बढ़ोतरी को लेकर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) ने वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय को पत्र भी लिखा है। फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने बताया कि गत सितंबर में निर्यात में 5 फीसद का इजाफा हुआ था।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 10 Nov 2020 07:40 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 07:41 AM (IST)
कंटेनर की 40 फीसद कमी से ढुलाई लागत में 50 फीसद की बढ़ोतरी, ऑर्डर के बावजूद समय पर माल नहीं भेज पा रहे हैं निर्यातक
निर्यात के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC: Pexels

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कंटेनर की भारी किल्लत की वजह से ऑर्डर के बावजूद निर्यातक इन दिनों समय पर माल नहीं भेज पा रहे हैं। निर्यातकों के मुताबिक पिछले चार महीनों में कंटेनर उपलब्धता में 40 फीसद की कमी आई है। इस कारण माल ढुलाई की लागत लगातार बढ़ती जा रही है और पिछले चार महीनों में इस लागत में 60 फीसद तक का इजाफा हुआ है। निर्यातकों के मुताबिक पिछले चार महीनों में निर्यात के मुकाबले आयात में कमी और नए कृषि कानून के विरोध को लेकर पंजाब में रेल व सड़क मार्ग पूरी तरह से बाधित होने से कंटेनर की उपलब्धता प्रभावित हुई।

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कंटेनर की कमी और लागत में बढ़ोतरी को लेकर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) ने वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय को पत्र भी लिखा है। फियो के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने बताया कि गत सितंबर में निर्यात में 5 फीसद का इजाफा हुआ था, लेकिन कंटेनर की कमी और लागत बढ़ने से अक्टूबर माह में निर्यात में 5 फीसद की गिरावट आ गई। फियो के मुताबिक पिछले महीने तक पंजाब में किसानों के विरोध के कारण 4000 कंटेनर पंजाब के इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) में फंसे पड़े थे। पंजाब के आयातकों के माल से लदे 3500 कंटेनर पोर्ट पर फंसे थे क्योंकि पंजाब में सड़क व रेलमार्ग बाधित था।

निर्यातकों ने बताया कि पिछले चार महीनों से आयात में कमी से माल कम आए। इससे भी कंटेनर की कमी होती गई। आयात अधिक होने से माल लेकर अधिक कंटेनर भारत में आते थे जो निर्यातकों के माल लेकर वापस जाते थे। कंटेनर की कमी को देखते हुए कंपनियों ने इनकी दरों को बढ़ा दिया है। जुलाई में 40 फीट के कंटेनर से यूरोप में माल भेजने पर 1250 डॉलर का खर्च आता था जो अक्टूबर में बढ़कर 1800 डॉलर हो गया।

20 फीट के कंटेनर के लिए जुलाई में यह लागत 850 डॉलर थी जो गत अक्टूबर में 1400 डॉलर के स्तर तक आ गयी। माल भेजने की लागत में भारी बढ़ोतरी से जिंसों के निर्यातक बाजार से बाहर हो सकते हैं। क्योंकि उन्हें अधिक कंटेनर की जरूरत होती है जिससे उनकी लागत काफी अधिक हो जाएगी। निर्यातकों ने बताया कि कंटेनर नहीं मिलने से वे समय पर माल नहीं भेज पा रहे हैं जिससे खरीदार किसी और देश के विक्रेता के पास शिफ्ट हो सकते हैं।


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