न हों परेशान, जुलाई से नहीं सताएगा महंगाई का डर
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाए-एमएल), डायचे बैंक और यूबीएस के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति में नकारात्मक आधार प्रभाव के कारण और वृद्धि होगी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। खुदरा महंगाई दर जून महीने में भी ऊंची रह सकती है लेकिन चालू वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही में इसमें थोड़ी नरमी (गिरावट) देखने को मिल सकती है। ऐसा विशेषज्ञ मानते हैं। गौरतलब है कि मई महीने में खुदरा महंगाई 4.58 फीसद से बढ़कर 4.87 फीसद हो गई, जो पिछले चार महीनों में सबसे अधिक है।
प्रमुख वैश्विक ब्रोकरेज कंपनियां जैसे कि बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाए-एमएल), डॉएचे बैंक और यूबीएस के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति में नकारात्मक आधार प्रभाव के कारण और वृद्धि होगी। जैसे ही यह प्रभाव खत्म होगा मुद्रास्फीति में नरमी आएगी और यह धीरे धीरे कम होती चली जाएगी।
बोफा-एमएल ने अपने रिसर्च नोट में कहा कि आधार प्रभाव का असर हटने के बाद दूसरी छमाही में यह घटकर 4.2 फीसद पर आ जाएगी। आरबीआई ने इसके 4.7 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। इसमें कहा गया, “हमारे विचार से, फंडामेंटल्स उच्च मुद्रास्फीति का समर्थन नहीं करते हैं। हालांकि आधार प्रभाव सितंबर तक विकास दर को 7.5 फीसद पर बनाए रखेगा, लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही में इसे 7 फीसद से नीचे गिरना चाहिए।”
डॉएचे बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक जून में भी मुद्रास्फीति की दर ऊंची रह सकती है करीब 5.1 फीसद से 5.3 फीसद के आस पास, यह महंगाई चक्र की सबसे ऊंची दर होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून के बाद जैसे ही नकारात्मक आधार प्रभाव खत्म होगा महंगाई धीरे धीरे कम होती चली जाएगी। दिसंबर तक यह 4 फीसद पर आ जाएगी और इसके बाद वित्त वर्ष 2018-19 के मार्च के आखिर तक यह 4.5 फीसद से 4.6 फीसद के आस पास रहेगी।