Economic Survey: गांवों में रोजगार बढ़ाएगा खाद्य प्रसंस्करण का विस्तार, नए अवसर उभरने की उम्मीद
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र की 8.3 फीसद की विकास दर को दहाई अंक में पहुंचाने की कोशिश होगी जिससे कई मुद्दों को साधने में सहायता मिलेगी। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के कुल रोजगार प्राप्त लोगों का 12.2 फीसद अकेले खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में हैं। (जागरण-फोटो)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दी जा सकती है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास से ग्रामीण बेरोजगारी के साथ गरीबी, खाद्य सुरक्षा, महंगाई, बेहतर पोषण और भोजन की बर्बादी जैसे मसलों को हल करने में मदद मिलेगी। संसद में मंगलवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इसका स्पष्ट संकेत दिया गया है।
खाद्य प्रसंस्करण-खाद्य निर्यात में होगी बढ़ोतरी
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र की 8.3 फीसद की विकास दर को दहाई अंक में पहुंचाने की कोशिश होगी, जिससे कई मुद्दों को साधने में सहायता मिलेगी। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के कुल रोजगार प्राप्त लोगों का 12.2 फीसद अकेले खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में हैं। जबकि कुल भारतीय निर्यात में कृषि खाद्य निर्यात की हिस्सेदारी 10.9 फीसद है। इस क्षेत्र में रोजगार की संभावना का अंदाजा नीति नियामकों को है। इसीलिए आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस क्षेत्र को विशेष महत्व दे सकती हैं। सर्वे रिपोर्ट में इस क्षेत्र को 'सूर्योदय क्षेत्र' की संज्ञा से नवाजा गया है।
गरीबी, खाद्य सुरक्षा, महंगाई, पोषण भोजन की बर्बादी रोकने में मिलेगी मदद
दरअसल उपभोक्ता के खाने की थाली में प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का चलन बढ़ा है। इसी वजह से अब खेती में विविधीकरण और व्यावसायीकरण को प्रोत्साहन को बल मिला है। इससे किसानों की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिली है। रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर और सुविधाजनक बनाने के लिए बुनियादी ढांचे में व्यापक निवेश के साथ लॉजिस्टिक चुनौतियों का समाधान करने की जरूरत है।
कई तरह की चुनौतियां
वित्त मंत्री सीतारमण के बजट प्रविधानों में उसे स्थान मिल सकता है। देश में कोल्ड चेन की कमी के चलते कई तरह की चुनौतियां पेश आती हैं, जिसे आम बजट में सुलझाया जा सकता है। बुनियादी ढांचे की कमी का खामियाजा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र को उठाना पड़ रहा है, जिसको सुलझाने के लिए विशेष प्रस्ताव पारित हो सकते हैं। प्रसंस्कृत उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष ढुलाई बंदोबस्त की जरूरत है। जल्दी खराब होने वाले उत्पादों की ढुलाई के लिए मौजूदा सड़क नेटवर्क नाकाफी है।
कृषि क्षेत्र में लगे खेतिहर मजदूरों की संख्या बड़ी
देश में कुल सड़क नेटवर्क का मात्र दो फीसद ही हिस्सेदारी ही राष्ट्रीय राजमार्गों की है, जिस पर सभी प्रकार के कार्गों का 40 फीसद ढुलाई का बोझ है। इस भीड़भाड़ वाले राजमार्गों से ऐसे जल्दी खराब होने वाले उत्पादों की ढुलाई करना संभव नहीं है। कृषि क्षेत्र में लगे खेतिहर मजदूरों की संख्या बहुत बड़ी है। इसी तरह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में कुशल मजदूरों की अच्छी खासी संख्या कार्यरत है। विश्व बाजार की निर्यात मांग को पूरा करने में भी मानव संसाधनों की जरूरत होगी, जिसके लिए कई प्रशिक्षण और इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट स्थापित किए गए हैं। लेकिन जरूरत के हिसाब से कम है। आम बजट में इसका विस्तार किया जा सकता है।
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