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ईटीएफ में निवेश सीमा बढ़ाने पर EPFO आज करेगा फैसला

ईपीएफओ ने अगस्त, 2015 में ईटीएफ में निवेश की शुरुआत की थी। उस समय यह सीमा पांच फीसद तय की गई थी

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 26 Jun 2018 11:07 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jun 2018 11:07 AM (IST)
ईटीएफ में निवेश सीमा बढ़ाने पर EPFO आज करेगा फैसला
ईटीएफ में निवेश सीमा बढ़ाने पर EPFO आज करेगा फैसला

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) इक्विटी आधारित स्कीमों या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। मंगलवार को होने वाली ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में इस पर फैसला हो सकता है। स्टॉक मार्केट में निवेश से ज्यादा रिटर्न पाने के लिए ईपीएफओ इस पर विचार कर रहा है।

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ईपीएफओ ने अगस्त, 2015 में ईटीएफ में निवेश की शुरुआत की थी। उस समय यह सीमा पांच फीसद तय की गई थी। 2016-17 में इसे बढ़ाकर 10 फीसद और 2017-18 में 15 फीसद कर दिया गया। बैठक में ईपीएफओ अपने पांच फंड मैनेजरों को कोष प्रबंधन के लिए छह महीने का अतिरिक्त समय देने पर भी फैसला कर सकता है। इसके फंड मैनेजरों में एसबीआइ, आइसीआइसीआइ सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप, रिलायंस कैपिटल, एचएसबीसी एमएमसी और यूटीआइ एएमसी शामिल हैं।

इन फंड मैनेजर को पहली अप्रैल, 2015 को नियुक्त किया गया था। अभी उन्हें 30 जून तक का विस्तार दिया गया है। अब इन्हें 31 दिसंबर, 2018 तक या नए फंड मैनेजरों की नियुक्ति तक समय देने पर विचार हो रहा है। पेंशनभोगियों को मिलने वाली मासिक पेंशन को दोगुना करते हुए 2,000 करने के प्रस्ताव पर अधिकारी ने बताया कि बैठक के एजेंडे में यह नहीं है। हालांकि बैठक में किसी भी विषय पर चर्चा संभव है।

ईपीएफओ को 47,000 करोड़ रुपये के ईटीएफ निवेश पर मिला 16.07 फीसद का रिटर्न

रिटायरमेंट फंड बॉडी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में किए गए 47,431 करोड़ रुपये के निवेश पर इस साल मई महीने तक 16.07 फीसद का रिटर्न हासिल किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 31 मई, 2018 तक 47,431.24 करोड़ रुपये के ईटीएफ पर 16.07 फीसदा का रिटर्न हासिल किया है। ईपीएफओ ने ईटीएफ में निवेश की शुरुआत अगस्त 2015 में की थी, जिसमें इक्विटी लिंक्ड स्कीम में अपने निवेश योग्य जमा का 5 फीसद हिस्सा निवेश करना अनिवार्य किया गया था। वित्त वर्ष 2016-17 में यह अनुपात बढ़कर 10 फीसद और वित्त वर्ष 2017-18 में 15 फीसद हो गया।


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