EPFO ने 6 लाख नियोक्ताओं को EPF भुगतान में दी राहत, कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए प्रोत्साहित होंगी कंपनियां
EPF Contribution यह राहत कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध कानून1952 के अंतर्गत आने वाली संभी कंपनियों या संस्थाओं के लिए होगी।
नई दिल्ली, पीटीआई। कोरोना वायरस प्रकोप और लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए सरकार लगातार लोगों और उद्योगों की मुश्किलों को कम करने की दिशा में फैसले ले रही है। साथ ही कई नियमों में भी ढील दी जा रही है। इसी कड़ी में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने देश की छह लाख कंपनियों को राहत प्रदान की है। ईपीएफओ द्वारा दी गई इस राहत के अनुसार अब नियोक्ता मार्च महीने के ईपीएफ का भुगतान 15 मई तक कर सकते हैं। सामान्य नियमों के अुसार नियोक्ताओं को मार्च के ईपीएफ का भुगतान 15 अप्रैल तक करना था, लेकिन इस राहत से उन्हें 30 दिनों का और समय मिल जाएगा।
श्रम मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, 'वैश्विक महामारी कोरोना वायरस और देशव्यापी लॉकडाउन को देखते हुए मार्च महीने का इलेक्ट्रॉनिक चालान सह रिटर्न (ECR) जमा करने की तारीख को आगे बढ़ाया जा रहा है। यह तारीख अब 15 अप्रैल की जगह 15 मई की जा रही है। जिन नियोक्ताओं ने अपने कर्मचारियों को मार्च महीने की सैलरी दे दी है, यह राहत उन्हीं नियोक्ताओं के लिए है।'
यह राहत कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध कानून,1952 के अंतर्गत आने वाली संभी कंपनियों या संस्थाओं के लिए होगी। ये नियोक्ता अब इस साल के मार्च महीने की ईपीएफ योगदान राशि व प्रशासनिक शुल्क को नियत समय यानी 15 अप्रैल से 30 दिन बाद तक जमा करा सकते हैं।
सरकार के इस कदम से नियोक्ताओं को कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए प्रोत्साहन भी मिलेगा, क्योंकि राहत सिर्फ उन्हीं नियोक्ताओं के लिए है, जिन्होंने कर्मचारियों को मार्च महीने का वेतन दे दिया है। इस तरह नियोक्ताओं को ब्याज और जुर्माने से भी राहत मिली है। ईपीएफ बकाया का भुगतान 15 मई या उससे पहले जमा करने वाले नियोक्ताओं को ब्याज और जुर्माना नहीं देना होगा।
कोरोना वायरस प्रकोप के इस विकट समय में देखने में आ रहा है कि कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को वेतन देने में देरी कर रही हैं। अब सरकार की इस राहत के चलते नियोक्ताओं को देरी से ईपीएफ के भुगतान पर ब्याज और जुर्माना बचाने के लिए अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने का प्रोत्साहन मिलेगा।