EPFO में सितंबर 2017 से फरवरी तक 32 लाख, NPS में 4.21 लाख सदस्य जुड़े
पिछले वित्त वर्ष में सितंबर से फरवरी के बीच छह महीनों के दौरान नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के 4.21 लाख नए सदस्य बने हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। विपक्ष भले ही सरकार पर नौकरियों के सृजन को लेकर निशाना साध रहा हो लेकिन हकीकत यह है कि संगठित क्षेत्र में रोजगार बढ़े हैं। सरकार की ओर से जारी ताजा आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। केंद्रीय सांख्यकीय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अनुसार सितंबर 2017 से फरवरी के दौरान कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के 32 लाख नए सदस्य जुड़े हैं जबकि करीब 70 लाख नए कर्मचारियों ने इस अवधि में कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआइएस) में योगदान किया है।
मंत्रालय के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में सितंबर से फरवरी के बीच छह महीनों के दौरान नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के 4.21 लाख नए सदस्य बने हैं। इससे देश में संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति का अंदाजा लगता है।
वैसे मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों की तुलना नहीं की जा सकती। यह सवाल भी खड़ा होता है कि जब रोजगार हर सरकार की प्राथमिकता में है और विपक्ष के लिए यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता है तो इसके आकलन का कोई ठोस स्वरूप क्यों नहीं बन पाया है। तीन एजेंसियों की ओर से तीन आंकड़े पेश किए गए हैं।
दरअसल ईपीएफओ के आंकड़े सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों के बारे में जो 20 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों में काम कर रहे हैं। जिन फर्मो में कर्मचारियों की संख्या 20 से कम है उन्हें ईपीएफओ नंबर लेकर कर्मचारियों का पीएफ काटने और जमा करने की आवश्यकता नहीं होती है। इस तरह ईपीएफओ में आंकड़ों से सिर्फ उन्हीं फर्मो में रोजगार की स्थिति का पता चल सकता है जिनमें 20 से अधिक लोग काम कर रहे हैं।
इसी तरह ईएसआइ योजना में जुड़ने वाले नए कर्मचारियों की संख्या का आकलन भी सिर्फ उन्हीं फर्मो से किया जाता है जहां कम से कम 10 या अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। यह सुविधा भी सिर्फ उन्हीं कर्मियों को मिलती है जिनका वेतन 21,000 रुपये प्रतिमाह से कम है। ऐसे में इस आंकड़े से उन कर्मचारियों का पता नहीं चल सकता है, जिनका वेतन 21,000 रुपये प्रति माह से अधिक है। जहां एनपीएस का सवाल है तो यह सरकारी कर्मचारियों के लिए तो अनिवार्य है लेकिन निजी क्षेत्र के लिए इसकी कोई अनिवार्यता नहीं है।