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EMI पर घर खरीदना बेहतर या रेंट पर रहना है ज्यादा फायदे का सौदा, ऐसे दूर करिए अपना Confusion

EMI vs Rent मकान लेने के लिए आपको अपने जरूरत को पहचानने की जरूरत है। अगर आप इस नतीजे तक पहुंचते हैं कि आपको अब लंबे समय तक उसी शहर में रहना और आपने मार्जिन मनी इकट्ठा कर लिया है तो आपको अपना मकान लेने के बारे में सोचना चाहिए।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 12:28 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jul 2021 07:06 AM (IST)
EMI पर घर खरीदना बेहतर या रेंट पर रहना है ज्यादा फायदे का सौदा, ऐसे दूर करिए अपना Confusion
भारत में अपने घर को हमेशा 'सपनों का घर' कहा जाता है।

नई दिल्ली, बलवंत जैन। पिछले सप्ताह मेरे एक दोस्त ने मुझे फोन किया था। उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि 'मेरा बेटा पिछले तीन साल से पुणे में किराये के फ्लैट में रह रहा है। उसने कुछ पैसों की सेविंग कर ली है और अब बोल रहा है कि वह फ्लैट लेना चाहता है। वह इस समय 12,000 रुपये प्रति माह का रेंट दे रहा है। वहीं, अगर वह 30 लाख रुपये का होम लोन लेकर 50 लाख रुपये तक का फ्लैट खरीदता है तो उसे तकरीबन 22 हजार रुपये के आसपास की EMI देनी होगी।' आप बताइए मुझे उसे क्या सलाह देना चाहिए। मेरे दोस्त जैसे ही देश में लाखों लोग हैं, जो इस कश्मकश में रहते हैं कि उन्हें कम किराया देकर रहना चाहिए या फिर Home Loan लेकर एक मकान लेना चाहिए और फिर किस्त का भुगतान करना चाहिए

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आइए इस आलेख के जरिए हम इसी मुद्दे पर चर्चा करते हैं:

जरूरत को पहचानना है जरूरी

अगर आप अपने गृह शहर या गांव से दूर जाकर नौकरी कर रहे हैं, तो बहुत संभव है कि आप अपने करियर के शुरुआती दिनों में मकान लेने के बारे में नहीं सोचते हैं। लेकिन धीरे-धीरे जब एक तरह की स्टैबिलिटी आती है तो आप इस बारे में सोचने लगते हैं। मकान लेने के लिए आपको अपने जरूरत को पहचानने की जरूरत है। अगर आप इस नतीजे तक पहुंचते हैं कि आपको अब लंबे समय तक उसी शहर में रहना और आपने मार्जिन मनी इकट्ठा कर लिया है तो आपको अपना मकान लेने के बारे में सोचना चाहिए। अगर आपके जॉब में एक तरह का स्थायित्व आ गया है और मार्जिन मनी इकट्ठा हो गया है तो आपको रेंट पर रहने और EMI पर मकान लेने के विकल्पों की तुलना नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ऐसे केस में मकान खरीदना हमेशा फायदे का सौदा होता है।

EMI पर मकान लेने के फायदे

भारत में अपने घर को हमेशा 'सपनों का घर' कहा जाता है। इसकी कई तरह की वजहें हैं। अगर आप EMI पर मकान लेते हैं तो आपके जीवन जीने का तरीका और बेहतर हो जाता है। इसकी वजह है कि आप फर्नीचर से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तक यह सोच कर लेते हैं कि आपको अपनी रिहाइश को चेंज नहीं करना है। आप इसी माइंडसेट के साथ घर में इंटीरियर करवाते हैं। इस तरह आपको बार-बार मकान चेंज करने से राहत मिल जाती है क्योंकि किराये पर बार-बार घर बदलने पर आपको कई सारे खर्च करने पड़ते हैं। मसलन, पैकर्स एंड मूवर्स का खर्च और नए मकान में अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च। आपको बार-बार अपने डॉक्युमेंट्स में एड्रेस में भी बदलाव नहीं करना पड़ता है। यह काफी सुकून भरी चीज है।

टैक्स में मिलने वाली छूट अहम

Home Loan पर मकान लेने पर आपको टैक्स में काफी अधिक छूट मिलती है। फ्लैट का पजेशन मिलने के बाद आपको आयकर अधिनियम के Section 24(B) के तहत Self Occupied होम पर लिए गए लोन के अगेंस्ट ब्याज पर टैक्स देनदारी में सालाना दो लाख रुपये तक की छूट मिलती है। इतना ही नहीं, अगर पति-पत्नी ने संयुक्त रूप से मकान लिया है और दोनों नौकरी करते हैं तो दोनों अलग-अलग इस छूट का लाभ उठा सकते हैं।

इसके साथ ही आपको मूलधन पर सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है। इसका मतलब है कि आपको सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ लेने के लिए अलग से निवेश करने की जरूरत नहीं होती है।

प्रोपर्टी के वैल्यू में Appreciation

अगर आप किसी रेंटेड मकान में 20 साल में रहते हैं तो उसके लिए दी गई रेंट एक तरह से आपके खर्च में शामिल होकर रह जाती है। वहीं, अगर आप 20 साल तक EMI का भुगतान करते हैं तो आप इस तरह से एक प्रोपर्टी तैयार करते हैं। अगर आप सोच-समझकर और पूरे R&D के बाद सही प्रोपर्टी पर दांव लगाते हैं तो समय के साथ आपको अच्छा-खासा Appreciation भी मिल जाता है।

Rent पर ऐसी परिस्थितियों में रहना फायदेमंद

अगर आप किसी ऐसी नौकरी में हैं, जिसमें बार-बार तबादला होता है, तो आपको रेंट में रहने पर फायदा होता है। रेंट पर रहने से आपको दूसरे शहर में कोई बेहतर ऑप्शन मिलने पर जॉब बदलने में कोई खास परेशानी नहीं होती है। यह आपको काफी फ्लैक्सेबिलिटी देता है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से ज्यादा बड़ा या छोटा मकान ले सकते हैं। अगर आपके पास मार्जिन मनी नहीं है या जॉब सिक्योरिटी को लेकर किसी तरह का संदेह है तो ऐसे मामलों में रेंट पर रहना ज्यादा मुनासिब होता है।

(लेखक टैक्स एंड इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)


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