किचन अप्लायंसेज उद्योग की बजट से उम्मीद, सस्ते आयात से मिले संरक्षण
मौजूदा समय में अधिकांश इलेक्ट्रिकल किचन अप्लायंसेज पर IGST की दर 18 और 28 फीसद है
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। घरेलू इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज उद्योग आयातित उत्पादों के चलते मुश्किल में है। उद्योग चाहता है कि देश में मेक इन इंडिया के तहत मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार को बनाये रखने के लिए सरकार सस्ते आयात को नियंत्रित करने के उपाय करे। इसके लिए उद्योग न केवल पूरी तरह आयातित उत्पादों पर आइजीएसटी की दर बढ़ाने की मांग कर रहा है बल्कि बेसिक कस्टम ड्यूटी में भी वृद्धि करने की मांग कर रहा है।
वर्तमान में ज्यादातर इलेक्ट्रिकल किचन अप्लायंसेज पर आइजीएसटी की दर 18 और 28 फीसद है। इसके अलावा इन उत्पादों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी भी मान्य है जो भिन्न उत्पादों पर अलग है। मसलन इलेक्ट्रिकल चिमनी पर बेसिक कस्टम ड्यूटी साढ़े सात फीसद है। जबकि इस पर 28 फीसद का आइजीएसटी है। इसी तरह चिमनी के हुड पर आइजीएसटी की दर 18 फीसद है।
घरेलू उद्योग का मानना है कि ड्यूटी की ये दरें स्वदेशी उत्पादन के साथ प्रतिस्पर्धी नहीं है। चूंकि विदेशों में इन उत्पादों की कीमत कम रहती है लिहाजा ड्यूटी की मौजूदा दरें भी इन उत्पादों को देश में निर्मित उत्पादों के मुकाबले सस्ता बना देती हैं। देश के किचन हुड बाजार में संगठित उद्योग का हिस्सा 65-70 फीसद है। किचन हुड बनाने वाली कंपनी एलिका पीबी इंडिया के सीईओ व निदेशक प्रह्लाद भुटाडा का मानना है कि घरेलू उद्योग को सस्ते आयात से बचाने के लिए सरकार को बेसिक कस्टम ड्यूटी के साथ साथ आइजीएसटी की दर में वृद्धि करना भी जरूरी है। इससे मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
देश में किचन हुड उत्पादों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। अगले पांच साल में इसमें 30 फीसद की वृद्धि का अनुमान लगाया जा रहा है। साल 2020 तक इन उत्पादों का बाजार 1500 करोड़ रुपये का हो जाएगा। एलिका ने साल 2010 में भारत में प्रवेश किया था और अब देश में ही किचन अप्लायंसेज का निर्माण करती है।