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बैंक फ्रॉड मालमे में ईडी ने सिम्भावली शुगर मिल की 110 करोड़ रुपये की संपत्ति की जब्‍त

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में जांच करते हुए सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड की लगभग 110 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 04:34 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 08:44 AM (IST)
बैंक फ्रॉड मालमे में ईडी ने सिम्भावली शुगर मिल की 110 करोड़ रुपये की संपत्ति की जब्‍त
बैंक फ्रॉड मालमे में ईडी ने सिम्भावली शुगर मिल की 110 करोड़ रुपये की संपत्ति की जब्‍त

नई दिल्ली (पीटीआइ)। प्रवर्तन निदेशालय ( ED) ने मंगलवार को बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में जांच करते हुए भारत की सबसे बड़ी चीनी मिलों में से एक  सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड की लगभग 110 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है।

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एजेंसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हापुड़ के सिम्भावली में स्थित कंपनी की डिस्टिलरी यूनिट की जमीन, बिल्डिंग, प्लांट और मशीनरी आदि को जब्त करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत एक प्रोविजनल ऑर्डर जारी किया गया था।

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प्रवर्तन निदेशालय ने एक स्टेटमेंट में कहा कि कुर्की आदेश के तहत संपत्ति की कुल कीमत 109.8 करोड़ रुपये है। सिम्भावली शुगर्स लिमिटेड और अन्य के खिलाफ सीबीआई की एफआईआर को ध्यान में लेते हुए और गन्ना किसानों को पैसा देने के बहाने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को धोखा देने के आरोप में एजेंसी की तरफ से पिछले साल मार्च में एक पीएमएलए मामला दायर किया गया था।

पिछले साल भी क्रिमनल केस दर्ज होने के बाद ईडी ने रेड की थी। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, कंपनी को 5,762 किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए बैंक की तरफ से 148.59 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था, लेकिन कंपनी ने इस पैसों का इस्तेमाल कहीं और किया था।

कंपनी के चेयरमैन गुरमीत सिंह मान, डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गुरपाल सिंह, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर जी एस राव, सीएफओ संजय तापड़िया, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर गुरसिमरन कौर मान और 5 नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। गुरपाल सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के दामाद हैं। मुख्यमंत्री ने अपने दामाद की ओर से किसी भी तरह के गलत काम से इनकार किया था।

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ईडी ने जांच में कहा कि कंपनी ने कई अन्य अकाउंट में लोन के फंड को डाल दिया था और आखिर में इसका उपयोग बाहर के लोन के री पेमेंट, फर्मों के परिचालन खर्च और गन्ना बकाया के भुगतान के लिए किया। कंपनी की तरफ से किसानों को दिया गया धन किसानों के अकाउंट में नहीं गया था। इसलिए लोन के नियमों और कंडीशन के अनुसार जो कंपनी को वापस चुकाना था उसमें कंपनी नाकाम रही थी। 


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