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Economy को इस बार मिलेगा Export का सहारा, भारत में वस्तुओं की खपत घटी लेकिन निर्यात मांग में हुआ इजाफा

चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की विकास दर को इस बार निर्यात का सहारा मिलने की उम्मीद है। कोरोना की वजह से घरेलू स्तर पर कई वस्तुओं की खपत भले ही कम हो रही है लेकिन वस्तुओं की निर्यात मांग में तेजी बरकरार है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 11:10 AM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 11:10 AM (IST)
Economy को इस बार मिलेगा Export का सहारा, भारत में वस्तुओं की खपत घटी लेकिन निर्यात मांग में हुआ इजाफा
मई के पहले सप्ताह के निर्यात में मई, 2019 की समान अवधि के मुकाबले नौ फीसद की बढ़ोतरी रही। (PC:Reuters)

नई दिल्ली, राजीव कुमार। चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की विकास दर को इस बार निर्यात का सहारा मिलने की उम्मीद है। कोरोना की वजह से घरेलू स्तर पर कई वस्तुओं की खपत भले ही कम हो रही है, लेकिन वस्तुओं की निर्यात मांग में तेजी बरकरार है। मई के पहले सप्ताह के निर्यात में मई, 2019 की समान अवधि के मुकाबले नौ फीसद की बढ़ोतरी रही। इस साल अप्रैल के निर्यात में वर्ष अप्रैल, 2019 के मुकाबले 16 फीसद का इजाफा हुआ था। निर्यातकों के मुताबिक, वैक्सीन अभियान की वजह से कोरोना पर काबू पाने में सफल होती अमेरिका, चीन व ब्रिटेन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से इस साल वस्तुओं की मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद है, जिसका फायदा भारतीय निर्यात को मिलने जा रहा है। 

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विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के हालिया अनुमान के मुताबिक वस्तुओं के वैश्विक व्यापार में इस साल आठ फीसद की बढ़ोतरी होगी। 2021 में उत्तरी अमेरिका से वस्तुओं की मांग में 11.4 फीसद का इजाफा होगा। यूरोप और दक्षिण अमेरिका के आयात में आठ फीसद की बढ़ोतरी का अनुमान है। डब्ल्यूटीओ का कहना है कि वैश्विक आयात की अधिकतर मांग की पूर्ति एशिया के देश करेंगे। भारत इसका प्रमुख हिस्सेदार हो सकता है। 

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ के मुताबिक निर्यातकों के पास ऑर्डर की कमी नहीं हैं। चालू वित्त वर्ष में निर्यात नया रिकार्ड बना सकता है। निर्यातकों ने बताया कि अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों की अर्थव्यवस्था में मजबूत रिकवरी दिख रही है। 

संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में अमेरिका की विकास दर 6.2 फीसद रहेगी, जो 1966 के बाद से सबसे अधिक होगी। वहीं चीन की विकास दर 8.2 फीसद रहने का अनुमान है। दोनों देशों की विकास दर मजबूत रहने से भारतीय निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि अब चीन में भी भारत का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। यूरोप की विकास दर भी 2021 में 4.1 फीसद रहने का अनुमान है। 

कोरोना की वजह से चीन की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचने से भी भारत को निर्यात लाभ मिलता दिख रहा है। विपरीत परिस्थिति में भी निर्यात के बेहतर प्रदर्शन को देख वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय निर्यात को और मजबूती देने में जुट गया है, ताकि मैन्यूफैक्चरिंग जारी रहे और रोजगार प्रभावित नहीं हो। वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोतरी से ही जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सकती है, जो रोजगार के सृजन के लिए सबसे जरूरी है। पिछले चार-पांच वर्षो से भारतीय निर्यात 300 अरब डॉलर के आसपास चल रहा है। चालू वित्त वर्ष में वस्तुओं का निर्यात 400 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर पर ले जाने की कोशिश शुरू हो गई है।


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