नोट बंद होने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा: गॉय सोरमन
दिग्गज फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन का कहना है कि भारत सरकार की तरफ से किया गया नोटबंदी का फैसला एक स्मार्ट राजनीतिक कदम है।
नई दिल्ली: दिग्गज फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन का कहना है कि भारत सरकार की तरफ से किया गया नोटबंदी का फैसला एक स्मार्ट राजनीतिक कदम है। हालांकि उन्होंने कहा कि इससे भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा। तर्क यह है कि 'अधिक नियमन' वाली अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक नजरिए से बैंक नोटों को बदलना एक स्मार्ट कदम है।
सुस्त हो सकती है अर्थव्यवस्था:
गॉय सोरमन कहा कि भारत में नोटबंदी से कुछ समय के लिए वाणिज्यिक लेनदेन बंद हो सकता है और अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है। यह भ्रष्टाचार को गहराई से खत्म नहीं कर सकता है। सोरमन ने एक साक्षात्कार में कहा, 'अत्यधिक नियमन वाली अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ता है। भ्रष्टाचार वास्तव में लालफीताशाही और अफसरशाही के ईदगिर्द घूमता है। ऐसे में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए नियमन को कुछ कम किया जाना चाहिए।'
उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का जल्दबाजी में संचालन का तरीका कुछ निराशाजनक है। ऐसे में पहले से बताए गए कार्यक्रम के जरिए एक स्पष्ट रास्ता एक अधिक विश्वसनीय तरीका होता। सोरमन ने कई पुस्तकें लिखी हैं। इनमें 'इकोनॉमिस्ट डजन्ट लाई: अ डिफेंस ऑफ द फ्री मार्केट इन अ टाइम आफ क्राइसिस' भी शामिल है।
वहीं दूसरी तरफ जानी-मानी अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रालय की पूर्व प्रधान आर्थिक सलाहकार इला पटनायक ने कहा कि प्रधानमंत्री की तरफ से अचानक 500 और 1,000 रुपए का नोट बंद करने के फैसले के कई उद्देश्य हैं। इससे निश्चित रुप से वे लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे जिनके पास नकद में कालाधन है।